- फीफा वर्ल्ड रैंकिंग में 158वें नंबर के अफगानिस्तान से ड्रा खेलकर भारतीय फुटबॉल टीम ने यह दिखाया है कि चाहे लाख कोशिश करें, करोड़ों रुपये बहाएं, तो भी हम नहीं सुधरने वाले
- 117वें नंबर के भारतीय फुटबॉल सूरमा वर्ल्ड कप क्वालीफायर में दूसरे दर्जे की अफगान टीम को हराने भी सफल नहीं हो पाए
- अफगानिस्तान के 18 प्रमुख खिलाड़ियों में से सिर्फ तीन ही प्रोटेस्ट से वापस लौटे हैं जबकि भारतीय टीम एक बार फिर पूरे दमखम के साथ उतरी और फिर से नाकाम लौटी है
- भारत के विदेशी कोच इगोर स्टीमक रेफरी का कोई भी प्रयोग काम नहीं कर रहा है जबकि अपने सुपर स्टार सुनील छेत्री को जब से मेसी और रोनाल्डो की क्लास में दाखिला मिला है, गोल जमाना भूल गया है
- आम फुटबॉल प्रेमी अपनी टीम के शर्मनाक प्रदर्शन पर यहां तक कहने लगे हैं कि जिस खेल के हेडक्वार्टर में ही भ्रष्टाचार पसरा है उसका भला कैसे हो सकता है
राजेंद्र सजवान
फीफा वर्ल्ड रैंकिंग में 158वें नंबर के अफगानिस्तान से ड्रा खेलकर भारतीय फुटबॉल टीम ने न सिर्फ अपनी फजीहत में बढ़ोतरी की है बल्कि यह भी दिखाया है कि चाहे लाख कोशिश करें, करोड़ों रुपये बहाएं, तो भी भारतीय फुटबॉल नहीं सुधरने वाली। 117वें नंबर के भारतीय खिलाड़ी वर्ल्ड कप क्वालीफायर में उस टीम से नहीं जीत पाए, जिसके अधिकतर टॉप खिलाड़ी मैदान में नहीं थे। अपनी फेडरेशन से विवाद के कारण प्रमुख अफगान खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में नहीं थे। अर्थात दूसरे दर्जे की अफगान टीम को हराने भी हमारे फुटबॉल सूरमा सफल नहीं हो पाए।
यह न भूलें कि अफगानिस्तान के 18 प्रमुख खिलाड़ियों में से सिर्फ तीन ही प्रोटेस्ट से वापस लौटे हैं जबकि भारतीय टीम एक बार फिर पूरे दमखम के साथ उतरी और फिर से नाकाम लौटी है। कुछ माह पहले एएफसी एशियन कप में भी भारतीय फुटबॉल को शर्मसार होना पड़ा था। तब खेले गए सभी तीन मैच उसने हारे थे। अफसोस की बात यह है कि भारत के खाते में अंक तो दूर एक गोल तक नहीं जुड़ पाया था।
भारतीय फुटबॉल के लिए यह मैच एक और बड़ा सदमा पहुंचाने वाला माना जा रहा है। कारण, पिछले कुछ समय से हमारे खिलाड़ी जीतना भूल चुके है या फिर हार दर हार उनका प्रदर्शन गिर रहा है। भारत के विदेशी कोच इगोर स्टीमक रेफरी से भिड़े, कोई भी बहाना बनाए या अपने खिलाड़ियों को कोसें लेकिन यह साफ है कि उनका कोई भी प्रयोग काम नहीं कर रहा है। अपना सुपर स्टार सुनील छेत्री भी पहले सा चमत्कारी नहीं रहा। जब से उसे मेसी और रोनाल्डो की क्लास में दाखिला मिला है, गोल जमाना भूल गया है।
लेकिन अकेला चना क्या करे? कुल मिलाकर भारतीय फुटबॉल में कुछ भी ठीक नहीं है। खेल मंत्रालय, खेल प्राधिकरण, एआईएफएफ और तमाम सपोर्टिक इकाइयों ने अपनी टीम को जरूरत से ज्यादा सिर चढ़ा रखा है। ऐसा अधिकतर फुटबॉल जानकार और पूर्व खिलाड़ी कह रहे हैं। आम फुटबॉल प्रेमी अपनी टीम के शर्मनाक प्रदर्शन से ऊब चुका है। कुछ एक तो यहां तक कहने लगे हैं कि जिस खेल के हेडक्वार्टर में ही भ्रष्टाचार पसरा है उसका भला कैसे हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि वर्तमान टीम की छंटनी जरूरी है। नए सिरे से युवा खिलाड़ियों को तैयार किया जाए। वरना भारतीय फुटबॉल की वापसी शायद ही हो पाए।