भारतीय योग संस्थान के स्थापना दिवस पर प्रकाश लाल जी को याद किया

संस्थान की स्थापना 10 अप्रैल, 1967 को मानव कल्याण और “जिओ और जीवन दो” की भावना के साथ हुई थी

डॉक्टर नीरू सेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं और यह बोल कर गईं कि योग से बड़ी औषधि दूसरी नहीं है

राजेंद्र सजवान

पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और देशभर के पार्कों और खेत-खलिहानों में योग की चहल- पहल बढ़ी है। बच्चे युवा, महिलाएं और पुरुष कांधे पर भारतीय योग संस्थान का बैग टांगे नजर आ जाते हैं। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि देश में योग के प्रति रुझान बढ़ा है या आम भारतीय की मानसिकता में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन आया हो।

दरअसल 10 अप्रैल भारतीय योग संस्थान का स्थापना दिवस है,  जिसे संस्थान से जुड़े पदाधिकारी और साधक हर साल सुविधानुसार और समर्पण के साथ मनाते हैं और अपने संस्थान के पितृ पुरुष श्रद्धेय श्री प्रकाश लाल जी को याद करते हैं।

  

इधर, मायापुरी और हरि नगर जिले में आयोजित कुछ योग केन्द्रों में विविध योग और सांस्कृतिक कार्यकर्मों को साक्षात देखने का अवसर मिला और पाया कि भारतीय योग संस्थान सचमुच समाज और देश की बड़ी सेवा कर रहा है। छोटे बच्चों से लेकर वयस्क और वयोवृद्ध योग और योग से जुड़े कार्यक्रमों में रूचि ले रहे हैं। जिले के प्रधान श्री इंदरजीत सिंह दुग्गल, जिला मंत्री अवतार सिंह तारी, संगठन मंत्री वीना सूद, छेत्रीय प्रधान मिथलेश सजवान, मंत्री कंचन भल्ला, हरि नगर जिले के प्रधान श्री रमेश, छेत्रीय प्रधान राजकुमार, संगठन मंत्री संजीव सरीन और झील पार्क के केंद्र प्रमुख सतीश के प्रयासों से स्थापना दिवस पर योगाभ्यास के साथ प्रकश लाल जी को याद किया गया।

नांगल राय क्षेत्र के प्रधान श्याम सुंदर गुप्ता, मंत्री बब्बर, केंद्र प्रमुख  सुमित्रा देवी की देख-रेख में आयोजित कार्यक्रम भी सराहनीय रहा। जिले के सबसे बड़े और भव्य कार्यक्रम का आयोजन शहीद उधम सिंह पार्क में श्री तारी की देख-रेख में किया गया, जिसमें डॉक्टर नीरू सेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं और यह बोल कर गईं कि योग से बड़ी औषधि दूसरी नहीं है।

 

  भारतीय योग संस्थान की स्थापना 10 अप्रैल, 1967 को मानव कल्याण और “जिओ और जीवन दो” की भावना के साथ हुई थी और तब से यह संस्थान लाखों करोड़ों मनुष्यों को योग के माध्यम से न सिर्फ जीवन दे रहा है अपितु उनके सरंक्षण और संवर्धन के लिए दृढ संकल्प है। संस्थान के प्रधान देसराज जी के अनुसार, देश-विदेश में संस्थान के 4000 से अधिक केंद्र चल रहे हैं, जिनमें इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं। 86 वर्षीय श्री दुग्गल के अनुसार, उनका संस्थान सालों से निशुल्क योग के माध्यम से देशवासियों को स्वास्थ्यलाभ दे रहा है। अवतार सिंह तारी कहते हैं कि संस्थान से जुड़ा हर अधिकारी और साधक प्रकाश लाल जी के सिद्वान्तों और मानव मूल्यों का पालन करता है।

  

हालांकि देश में कई संस्थान योग सिखा रहे हैं और लाखों कमा रहे हैं लेकिन भारतीय योग संस्थान दुनिया भर में अकेला ऐसा नाम है जिसने व्यावसायिकता के दौर में भी अपने मूल्यों और समाजसेवा के सिद्दांतों को बनाए रखा है। लेकिन पता नहीं क्यों कुछ साधकों को छोड़ ज्यादातर मौसम बदलने या मौके बे मौके योग कक्षाओं से दूर हो जाते हैं। यह न भूलें कि कोरोना और अन्य गंभीर बीमारियों के चलते यदि कोई मानवजाति को बचा सकता है और बेहतर स्वास्थ्य दे सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ योग है।

योग करें। रोज करें।।

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