अतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव ने मंगलवार को कहा कि भारत महिला मुक्केबाजी की राजधानी बन गया है
बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत का तीसरी बार चैम्पियनशिप की मेजबानी करना इस बात का प्रमाण है कि भारत मुक्केबाजी में एक वास्तविक शक्ति है”
बुधवार से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी खेल परिसर में स्थित केडी जाधव इंडोर हाल में होने वाली इस चैम्पियनशिप के 13वें संस्करण में खिताब के लिए 65 देशों के 300 से अधिक मुक्केबाज शिरकत करेंगे
संवाददाता
नई दिल्ली। अतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव ने मंगलवार को कहा कि भारत महिला मुक्केबाजी की राजधानी बन गया है। क्रेमलेव के मुताबिक भारत आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप 2023 के साथ महिलाओं की इस सबसे बड़ी मुक्केबाजी प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह तैयार है। इस चैम्पियनशिप का आयोजन बुधवार से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी खेल परिसर में स्थित केडी जाधव इंडोर हाल में होना है।
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) की मेजबानी में यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट भारत में तीसरी बार हो रहा है। इससे अधिक बार चैम्पियनशिप के इतिहास में किसी भी देश ने इसकी मेजबानी नहीं की है। पिछले दो संस्करण 2006 और 2018 में नई दिल्ली में हुए थे।
क्रेमलेव के साथ रियो ओलम्पिक चैम्पियन फ्रांस की एस्टेले मोसेली, मौजूदा अफ्रीकन चैम्पियन सिएरा लियोन की सारा हागी घाट जू और बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे।
क्रेमलेव ने कहा, “भारत महिला मुक्केबाजी की राजधानी बन गया और अब हम एक साथ ऐतिहासिक क्षण के गवाह बन रहे हैं। आमतौर पर 250 से 260 मुक्केबाज इस तरह की चैम्पियनशिप में भाग लेते हैं, लेकिन इस साल यह बहुत बड़ी चैम्पियनशिप है। इस चैम्पियनशिप के 13वें संस्करण में खिताब के लिए 65 देशों के 300 से अधिक मुक्केबाजों के बीच मुकाबला होगा। ये खिलाड़ी 12 भार वर्गों में हिस्सा लेंगे। इस साल इस चैम्पियनशिप के लिए 20 करोड़ रुपये का विशाल पुरस्कार पूल होगा।”
बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत का तीसरी बार चैम्पियनशिप की मेजबानी करना इस बात का प्रमाण है कि भारत मुक्केबाजी में एक वास्तविक शक्ति है और जैसा कि आईबीए अध्यक्ष ने कहा कि यह वास्तव में दुनिया में महिला मुक्केबाजी की राजधानी बन गया है। हमारे लिए और भी खुशी की बात यह है कि इस खेल ने हमें अपने देश में महिलाओं को सशक्त बनाने में सक्षम बनाया है। और हम मुक्केबाजी को उन रास्तों में से एक के रूप में देखते हैं, जिसके द्वारा पीछे रहने वाली महिलाएं, जो अक्सर सर्वश्रेष्ठ नहीं होती हैं, ऊपर उठती हैं और विश्व चैंपियन बन जाती हैं।”