- विनेश फोगाट ने एशियाई ओलम्पिक क्वालीफायर्स में महिला 50 किलो कैटागरी में भारत के लिए कोटा हासिल करके यह दिखा दिया है कि उसमें अभी बहुत दमखम बाकी है
- विनेश की कामयाबी ने ब्रजभूषण शरण सिंह एंड कंपनी को शर्मिंदा किया है, जो कि उस पर अनेकों इल्जाम लगा रहे थे
- उसका प्रदर्शन मीडिया के उन मसखरों पर जोरदार तमाचा है जो कि गुंडा तत्वों के समर्थन में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर देश की बहादुर बेटी पर फब्तियां कसते थे, उसे फुस्स कारतूस कहने लगे थे
राजेंद्र सजवान
देर से ही सही, देश की बहादुर बेटी, बदमिजाज पुरुषों से टकराने का दम रखने वाली और दुर्गा की तरह भ्रष्ट व बलात्कारियों के सीने पर तांडव नाचने वाली विनेश फोगाट एक बार फिर सुर्खियों में है। यूं तो वह अखाड़े में पांव रखते ही बाहुबलियों को टक्कर देने लगी थी, लेकिन एशियाई ओलम्पिक क्वालीफायर्स में मगिसा 50 किलो कैटागरी में भारत के लिए कोटा हासिल करके यह दिखा दिया है कि उसमें अभी बहुत दमखम बाकी है।
बेशक, विनेश ने ब्रजभूषण शरण सिंह एंड कंपनी को शर्मिंदा किया है, जो कि उस पर अनेकों इल्जाम लगा रहे थे। कोई कह रहा था कि वह राजनेताओं के हाथों में खेल रही है तो दूसरा इल्जाम यह था कि उसके अंदर का पहलवान मर गया है। हैरानी वाली बात यह है कि मीडिया का एक वर्ग उसे चुक गई बता रहा था। लेकिन उसने लगभग डेढ़ साल तक अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों से दूर रह कर और घुटने की सर्जरी के बाद तमाम आलोचकों की बोलती बंद कर दी है। उसका प्रदर्शन मीडिया के उन मसखरों पर जोरदार तमाचा है जो कि गुंडा तत्वों के समर्थन में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर देश की बहादुर बेटी पर फब्तियां कसते थे, उसे फुस्स कारतूस कहने लगे थे।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ओलम्पिक अब तक विनेश के लिए सुखद नहीं रहा। उसने तमाम बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीते लेकिन पिछले ओलम्पिक गेम्स में भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया। फिलहाल, उसे कुछ और बाधाएं पार करनी है। लेकिन देश को ओलम्पिक कोटा दिलाकर उसने बड़ा मोर्चा फतह कर लिया है। उसके प्रदर्शन से जहां एक ओर भारतीय कुश्ती को बल मिला है तो पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण के खिलाफ चल रहे न्याय युद्ध को भी नई ऊर्जा मिली होगी।
विनेश, साक्षी और बजरंग लंबे समय से अपने पूर्व अध्यक्ष के विरुद्ध हमेशा डट कर खड़े रहे। आज भी ब्रजभूषण की खड़ाऊ पहनकर भारतीय कुश्ती महासंघ के शीर्ष पद पर विराजमान संजय सिंह पर नामी पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अर्थात् विरोध अभी थमा नहीं है। मामला कोर्ट में चल रहा है। महिला यौन शोषण के आरोपों पर खेल मंत्रालय और आईओए के उदासीन रवैये की भी जमकर आलोचना हुई थी। बेशक विनेश की कामयाबी के बाद वाद-विवाद और आरोप-प्रत्यारोप बढ़ सकते हैं लेकिन यही समय है जब विनेश और उसके करोड़ों प्रशंसकों को धैर्य बनाए रखना है। बेहतर होगा विनेश भी एक और बाधा और उसके बाद ओलम्पिक पर ध्यान केंद्रित करे। उसमें दम है और साक्षी के बाद वह भारत को ओलम्पिक पदक दिला सकती है।