- हॉकी इंडिया की पहली सीआईओ एलेना नॉर्मन 13 सालों तक भारतीय हॉकी की सेवा करने के बाद स्वदेश लौट गई हैं
- जाते-जाते एलेना ने अध्यक्ष दिलीप टिर्की और सचिव भोलेनाथ के बीच की कटुता के बारे में जो कुछ कहा उससे हॉकी इंडिया में खासा हड़कंप मच गया है
- एलेना ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की को भद्र पुरुष बताया, लेकिन कुश्ती फेडरेशन से हॉकी इंडिया में पैर जमाने वाले सचिव भोलानाथ का नाम लिए बिना आरोप लगाया है कि हॉकी इंडिया का एक धड़ा उसे परेशान कर रहा है
राजेंद्र सजवान
हॉकी इंडिया की पहली सीआईओ एलेना नॉर्मन 13 सालों तक भारतीय हॉकी की सेवा करने के बाद स्वदेश लौट गई हैं। इस अवधि में भारतीय हॉकी ने क्या खोया और क्या पाया, इस बारे में अलग-अलग राय हो सकती है। लेकिन यह सच है कि एक विदेशी महिला ने भारतीय हॉकी के शीर्ष पद पर बैठे अधिकारियों की कोई परवाह नहीं की। लेकिन जाते-जाते उसने हॉकी इंडिया के बड़ों दिलीप टिर्की और सचिव भोलेनाथ के बीच की कटुता के बारे में जो कुछ कहा उससे हॉकी इंडिया में खासा हड़कंप मच गया है। महिला हॉकी टीम की कोच जेनेक शॉपमैन के पद त्यागने के बाद एलेना के इस्तीफे को बड़े धमाके के रूप में देखा जा रहा है।
एलेना और शॉपमैन ने उस समय हॉकी इंडिया पर आरोप लगाए हैं जब पेरिस ओलम्पिक सिर पर है। हालांकि महिला हॉकी टीम ओलम्पिक क्वालीफायर में नाकाम रही लेकिन पुरुष टीम एशियाड गोल्ड जीत कर पेरिस का टिकट पा चुकी है। ऐसे में जब तैयारियां निर्णायक दौर से गुजर रही हैं दो प्रमुख विदेशी महिलाओं का आरोपों के साथ भारतीय हॉकी से नाता तोड़ना अशुभ लक्षण माना जा रहा है। एलेना ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की को भद्र पुरुष कहा, लेकिन कुश्ती फेडरेशन से हॉकी इंडिया में पैर जमाने वाले सचिव भोलानाथ का नाम लिए बिना उसने आरोप लगाया है कि हॉकी इंडिया का एक धड़ा उसे परेशान कर रहा है।
इधर, पिछले कुछ समय से हॉकी इंडिया की गुटबाजी को लेकर सुगबुगाहट चल रही है। बेशक, दिलीप टिर्की के साथ एलेना की सहानुभूति रही है। लेकिन उसके पद त्यागने के बाद भारतीय हॉकी रसातल में धसक सकती है। कारण, हॉकी में कुश्ती जैसा माहौल बनता नजर आ रहा है। डर है कि कहीं हॉकी इंडिया चित न हो जाए। पिछले कुछ दिनों से दिलीप टिर्की हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पद पर खुद को सहज नहीं पा रहे थे। कई बार खबरें उड़ीं कि वे पद त्याग सकते हैं। लेकिन फिलहाल लोकसभा चुनावों के बाद ही कोई फैसला ले पाएंगे। यदि चुनाव जीते तो पद बने रहेंगे। वरना, विफल रहने पर हॉकी इंडिया को बाय-बाय कर सकते हैं। कारण, एक अच्छे और अनुशासित खिलाड़ी की छवि रखने वाले टिर्की हॉकी को कुश्ती बनता नहीं देख सकते।