हॉकी वाले मौन रहे, क्रिकेटर निकला हॉकी का सच्चा सपूत!

  • दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पर आयोजित एक कार्यक्रम में दद्दा के परिवार की तीसरी-चौथी पीढ़ी के लोग उपस्थिति में सुरेंद्र खन्ना ने ध्यानचंद को भारत रत्न की मांग की
  • पूर्व भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ने बेतुके आयोजन में न केवल जान डाली बल्कि हॉकी और मेजर ध्यानचंद का यथोचित गुणगान किया

राजेंद्र सजवान

खेल दिवस आया और चला गया। हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद को याद करने के लिए उनके जन्मदिन 29 अगस्त को खेल दिवस का दर्जा प्राप्त है। देश भर से प्राप्त खबरों से पता चला कि लगभग सभी प्रदेशों में ध्यानचंद को याद किया गया। लेकिन महान हॉकी खिलाड़ी को यदि किसी ने सच्ची श्रद्धांजलि दी तो वो एक क्रिकेट खिलाड़ी ने, जिसका नाम है सुरेंद्र खन्ना।

   राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पर आयोजित एक कार्यक्रम में दद्दा के परिवार की तीसरी-चौथी पीढ़ी के लोग उपस्थित थे। उनके बीच महान ओलम्पियन हरविंदर सिंह, भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान सीता गोसाईं,  दिल्ली हॉकी के जाने-माने पदाधिकारी अशोक माथुर, ध्यानचंद के पोते और अशोक ध्यानचंद के पुत्र गौरव,  कुछ साई कोच और खिलाड़ी भी शामिल थे। अंतत: सांसद मनोज तिवारी ने भी उपस्थिति दर्ज की।

   उम्मीद थी कि मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ सम्मान देने के लिए इस बार जोर-शोर से आवाज बुलंद की जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। घंटों तक यह समझ नहीं आया कि आखिर आयोजन का औचित्य क्या था। अपने-अपनों को रेवड़ियां बांटने वाले कार्यक्रम में तब जान पड़ी जब देश के वेटरन विकेटकीपर-बल्लेबाज सुरेंद्र खन्ना ने माइक संभाला और बिना किसी हिचक के कहा, “पता नहीं कैसे एक क्रिकेटर को ‘भारत रत्न’ दे दिया गया लेकिन जिस महान खिलाड़ी ने देश को तीन ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलाने में सबसे बड़ा योगदान दिया,  जिसके आगे हिटलर भी नतमस्तक हुआ, जिसे आप हॉकी जादूगर कहते हैं और पूरी दुनिया पूजती है, उसकी अवहेलना क्यों हुई? उसे सबसे पहले भारत रत्न मिलना चाहिए था।”

   सुरेंद्र ने यह भी कहा कि क्रिकेटरों को तो लाखों-करोड़ों रुपये मिलते हैं लेकिन ध्यानचंद की पीढ़ी के हॉकी खिलाड़ियों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। आज भी उनकी हालत अच्छी नहीं है। पूर्व भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ने जब अशोक ध्यानचंद को अपना परम मित्र बताया और हॉकी जादूगरी के साथ उनकी गायकी की तारीफ की तो हर कोई हैरान रह गया। उन्होंने सरदार बलबीर सिंह, अजीतपाल सिंह, हरविंदर सिंह, गणेश,  गोविंदा महाराज किशन कौशिक और दर्जनों अन्य खिलाड़ियों को अपना आदर्श और प्रिय बताया तो उपस्थित हॉकी प्रेमी, खिलाड़ी और पत्रकार अवाक रह गए।    सिर्फ और सिर्फ एक क्रिकेटर ही था, जिसने बेतुके आयोजन में न केवल जान डाली बल्कि हॉकी और मेजर ध्यानचंद का यथोचित गुणगान किया। बेशक, सुरेंद्र खन्ना ने दद्दा को सच्ची श्रद्धांजलि दी। वही थे जिसकी तारीफ हर किसी की जुबान कर रही थी। सभी कह रहे थे, “थैंक्स पाजी, आपने हॉकी की लाज बचा ली।”

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