अशोक ध्यानचंद (ओलंपियन, विश्व चैंपियन)
पिछले दो दिन भारतीय खेलों के लिए दुःख भरे रहे। एक के बाद एक भारतीय खेलो की दो महान हस्तियों ने हमारा साथ छोड़ते हुये इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आदरणीय मिल्खा सिंह जी का अवसान और फिर भारतीय महिला हॉकी की अभिभावक भारतीय महिला हॉकी की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाली अमृता बोस का 85 वर्ष की उम्र दुःखद निधन का समाचार मिला।
अमृत बोस भारत की महिला हॉकी की ऐसी पदाधिकारी रही है, जिन्होंने यह मुकाम एक खिलाड़ी की हैसियत से पाया और जो उनकी हॉकी के प्रति समर्पण भाव को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है। उनके चेहरे की चमक उनके व्यक्तित्व पर झलकती थी एक तेजस्वी महिला जो अपने देश की प्रतिभा पर विश्वास और गर्व करना जानती थी।
इसलिये एक हॉकी प्रशासक के रूप मे उन्होंने हमेशा भारतीय प्रशिक्षकों को महत्व दिया ।एम के कौशिक, वाय एस चौहान ,नकवी साहब और मुझे भारतीय हॉकी के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी सौपी और उनके इस विश्वास ने भारत को महिला हॉकी में कामयाबियां भी दिलवाई।
भारत ने एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक कामनवेल्थ खेलो का स्वर्ण पदक विजेता बनने का गौरव हासिल किया ।मेरा उनके साथ 1985-86 ढाका एशिया कप के दौरान जाना हुआ था जब मैं उस टीम का सहायक प्रशिक्षक बना जो मेरे लिए बहुत गर्व की बात रही क्योकि उस भारतीय हॉकी टीम के प्रशिक्षक के पद पर और कोई नही बल्कि अपने ज़माने के मशहूर हॉकी खिलाड़ी ओलंपियन हरदयालसिंह मुख्य प्रशिक्षक बनकर गए थे, जिनके साथ मुझे टीम को प्रशिक्षित करने का अवसर प्राप्त हुआ।
फाइनल मैच पाकिस्तान के साथ चल रहा था यह मुकाबला अत्यंत रोचक मोड़ पर था तब ही विवाद हो गया औऱ बिना किसी हमारी दलीलों को सुने भारत के पांच खिलाडियों को आने वाली अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया। उस समय अमृत बोस ने दबंगता से इस निर्णय का विरोध किया औऱ आने वाले कुछ ही महीनों में भारतीय खिलाड़ियों पर लगें प्रतिबंध को वर्ल्ड हॉकी फेडरेशन द्वारा हटा लिया गया। यह सब उनकी कार्यकुशलता और मेहनत का ही परिणाम था।
उनकी सहजता और सरलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि वे ढाका में हम लोगो के साथ रिक्शे में बैठकर घूम लिया करती थी घमंड उनको कभी भी छू तक नही पाया । अमृत बोस हॉकी संघ की पदाधिकारी होने के बावजूद खिलाड़ियों की बहुत बडी प्रसंशक हुआ करती थी।
जब भी नेशनल स्टेडियम स्थित कार्यालय में उनसे मुलाक़ात होती तो वे बहुत ही आदर सत्कार के साथ मुझे औऱ खिलाडियों को बैठाती थी और हमेशा चर्चा में हॉकी की बेहतरी के लिये ही उनके विचार होते और हम खिलाडियों के सुझाव लेने में और उसे अम्ल में लाने में उन्होंने कभी भी कोई संकोच नही किया।
।। ऐसा लगता था कि उनकी कार्यशैली में एक खिलाडी होने की झलक हमेशा दिखाई पड़ती रही ।उनके मन मे मेजर ध्यानचंद के लिये अपार श्रद्धा का भाव था जो हमेशा उनसे बातचीत में रहरहकर उभरकर आ जाता था ।दिल्ली के जानकी देवी महाविद्यालय जहाँ वे पढ़ाती थी उस महाविद्यालय में भी मुझे बतौर मुख्य अथिति जाने का अवसर मिला और उन्होंने यथोचित सममान दिया जिसको पाकर में आज भी अभिभूत हूं।
वास्तव में अमृत बोस भारतीय महिला हॉकी की रोशनी थी जिससे भारत की महिला हॉकी रोशन औऱ चमकती थीं सदा के लिये बुझ गयी । अब उनकी यादें शेष हैं किंतु उनके कार्यों की खूशबू ,उनके चेहरे की चमक ,हंसमुख मधुर स्वभाव सदैव हमारे साथ होगा जो उनकी याद हमेशा हमे जीवनपर्यंत दिलाते रहेगा । अमृत बोस के अवसान पर हम सभी भारतीय खिलाडी शोक व्यक्त करते है और परमात्मा से प्राथर्ना करते है कि उनको अपने श्री चरणों मे स्थान दे।विन्रम श्रद्धांजलि श्रद्धासुमन अर्पित हैं।