June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

खो खो: गुमनामी से निकल कर ओलंपिक खेलने की ज़िद्द

Kho Kho

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

भले ही भारतीय खो खो फ़ेडेरेशन देश में अपने खेल के प्रचार प्रसार को लेकर बड़े बड़े दावे करे और वेदेशियों को बुला कर अपनी पीठ थपथपाए लेकिन इतना तय है कि किसी भी खेल के लिए तब तक माहौल नहीं बनाया जा सकता जब तक ज़मीनी हक़ीकत को वास्तविकता का जामा नहीं पहनाया जाता। यह सही है कि खो खो विशुद्ध भारतीय खेल है और कुछ साल पहले तक इस खेल को देश के दर्ज़न भर प्रदेशों में बड़े चाव के साथ खेला जाता था।

लेकिन फ़ेडेरेशन की गुटबाजी और अंतरकलह के चलते इस खेल की खूबसूरती पर बुरा असर पड़ा। सराहनीय बात यह है कि अब एक बार फिर से खो खो  खोया मान सम्मान पानेके लिए दृढ़ संकल्प नज़र आता है।  फ़ेडेरेशन महासचिव महेंद्र सिंह त्यागी के अनुसार पूर्व अध्यक्ष और चेयरमैन एवम् भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव राजीव मेहता और अध्यक्ष सुधांसू मित्तल  खो खो को अंतरराष्ट्रीय खेलों की आगे की कतार में शामिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।       

चूँकि सरकार अपने पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना चाहती है, ऐसे में खो खो कबड्डी और कुश्ती को प्राथमिकता देना सराहनीय कदम माना जा सकता है। फिरभी यह ना भूलें कि कुश्ती दुनिया का खेल बन चुका है, कबड्डी एशियाड में शामिल है और कबड्डी लीग के आयोजन के बाद से यह खेल विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहा है। 

लेकिन खो खो पिछले पचास सालों से जहाँ का तहाँ खड़ा है|। कुछ पूर्व खिलाड़ियों, कोचों और जानकारों की मानें तो तीन चार दशक पहले यह खेल भारत और दक्षिण एशियाई देशों में ख़ासा लोकप्रिय था लेकिन अब ज़ीरो से शुरू करने की स्थिति  में है।

 खो खो फ़ेडेरेशन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने खेल को एशियाड में शामिल करने की है। ओलंपिक तो बहुत दूर की बात है। हालाँकि फ़ेडेरेशन सचिव त्यागी कहते हैं कि विदेशों में खो खो को ख़ासा पसंद किया जा रहा है।

लाक डाउन से पहले अफ्रीका और दक्षिण कोरिया सहित सोलह देशों ने  खेल  की बारीक़ियाँ सीखने के लिए भारत का दौरा किया और इस वादे के साथ स्वदेश लौटे कि बहुत जल्दी ही भारत में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेने आएँगे। कोविड 19 के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया। साल 2019 में भी फ़ेडेरेशन ने खो खो लीग करने का दम भरा था पर यह भी संभव नहीं हुआ।  यह भी सच है कि भारतीय ओलंपिक संघ में एक बड़ा धड़ा खो खो फ़ेडेरेशन के विरुद्ध खड़ा है। 

श्री त्यागी के अनुसार उनका इरादा एशियन चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप के आयोजन का है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा मजबूत संगठन बनाना चाहते हैं जिसके  बूते ओलंपिक तक का सफ़र तय हो सके। उन्हें सुधांसु मितल और राजीव मेहता के मार्गदर्शन का भरोसा है। महिला खिलाड़ी सारिका काले को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किए जाने को वह खेल की लोकप्रियता का पुरस्कार मानते हैं और कहते हैं कि ग्रासरुट स्तर पर खेल को बढ़ावा देने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनके नतीजे शीघ्र आने की उम्मीद है।

 बस कोरोना से मुक्ति मिल जाए।  स्कूल और कालेज स्तर पर अधिकाधिक खिलाड़ियों को खेल से जोड़ना और राष्ट्रीय चैंपियनशिप को आकर्षक बनाने के दावे के साथ खो खो फ़ेडेरेशन भविष्य की रणनीति तैयार कर रही है। देखना यह होगा कि तेज रफ़्तार और उच्च तकनीक वाले खेलों के बीच यह खेल कहाँ तक टिक पाएगा!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *