कुछ और नाम इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं, जो कि मौका देख कर नामांकन भरेंगे
एक रात्रि भोज के दौरान सुदेवा फुटबॉल अकादमी और सुदेवा क्लब के प्रमुख अनुज गुप्ता ने डीएसए कार्यकारिणी सदस्यों, क्लबों और खिलाड़ियों से समर्थन मांगा
पूर्व अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन के एआईएफएफ महासचिव नियुक्त होने के बाद से दिल्ली की फुटबॉल नियमित अध्यक्ष के बिना चल रही है
26 मार्च को शाजी प्रभाकरन के उत्तराधिकारी का चुनाव होना है
राजेंद्र सजवान
दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के अध्यक्ष पद के लिए अनुज गुप्ता ने ताल ठोक दी है। एक रात्रि भोज के दौरान सुदेवा फुटबॉल अकादमी और सुदेवा क्लब के प्रमुख अनुज गुप्ता ने स्थानीय क्लब अधिकारियों और सदस्य इकाइयों के प्रतिनिधियों के समक्ष अपनी मंशा ज़ाहिर करते हुए कहा कि वे अध्यक्ष के स्थाई पद के उमीदवार हो सकते हैं, यदि डीएसए कार्यकारिणी सदस्य, क्लब और खिलाड़ी उन्हें समर्थन दें।
उल्लेखनीय है कि पूर्व अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन के एआईएफएफ महासचिव नियुक्त होने के बाद से दिल्ली की फुटबॉल नियमित अध्यक्ष के बिना चल रही है। हालांकि वरिष्ठ उपाध्यक्ष शराफतउल्लाह को नियम ताक पर रख कर अंतरिम अध्यक्ष पद सौपा गया लेकिन न्यायालय के एक फैसले के कारण उन्हें हटना पड़ा और जगदीश मल्होत्रा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया जो कि महीने भर के लिए पद पर रहेंगे, क्योंकि 26 मार्च को शाजी प्रभाकरन के उत्तराधिकारी का चुनाव होना है।
इसमें दो राय नहीं कि शाजी के अध्यक्ष रहते दिल्ली की फुटबॉल में खासे बदलाव देखने को मिले। अब इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जरूरत है और किसी काबिल और स्थाई मुखिया के चयन से ही ऐसा संभव हो सकता है। लगभग डेढ़ साल में तीन अध्यक्षों की ताजपोशी करने वाली देश की राजधानी की फुटबॉल का जमकर उपहास उड़ चुका है और अब शायद चौथे अध्यक्ष के चुनाव के बाद डीएसए का काम-काज पटरी पर आ जाएगा, जिसके लिए अनुज एक दावेदार के रूप में सामने आए हैं।
अनुज की पार्टी में फुटबॉल हस्तियों की भारी मौजूदगी के मायने चाहे कुछ भी लगाए जा रहे हों लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली की फुटबॉल और उसके क्लब अधिकारियों का चरित्र हमेशा से संदेह के घेरे में रहा है। लेकिन यह तय हो गया है कि अनुज अध्यक्ष पद के पहले दावेदार हैं और कुछ और नाम कतार में जुड़ सकते हैं। उनमें से कई एक पार्टी का मजा लूटने और अपनी संभावना का आकलन करने के लिए उपस्थित रहे। अनुज के पक्ष में एक बड़ी बात यह रही कि उसके समर्थन में डीएसए के नए पुराने कई पदाधिकारी और क्लब अधिकारी खुल कर सामने आ गए, जिनमें विभिन्न पदों पर रहे नरेंद्र भाटिया, हेम चंद, शराफत उल्लाह, मगन सिंह पटवाल, शंकर लाल आदि वेटरन नाम शामिल हैं। इन सभी ने एकमत से अनुज का समर्थन किया और तर्क दिया कि वह सबसे युवा है और फुटबॉल की बारीकियों को बखूबी समझता है। उसके पास आवासीय अकादमी, क्लब, फुटबॉल ग्राउंड, हॉस्टल, विदेशी कोच, मंजे हुए खिलाड़ी और पर्याप्त संसाधन हैं।
शराफत, भाटिया, हेमचंद, पटवाल और तमाम उपस्थित फुटबॉल हस्तियों ने जोर देकर कहा कि शाजी प्रभाकरन के अधूरे काम को यदि कोई पूरा करने की योग्यता और क्षमता रखता है तो वह निसंदेह अनुज हो सकता है। लेकिन अनुज पहला और आखिरी दावेदार नहीं है। कुछ और नाम इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं, जो कि मौका देख कर नामांकन भरेंगे फिर भले ही उनमें कोई काबिलियत हो या नहीं। ऐसे भी डीएसए को चलाने का दम भर सकते हैं जिनसे अपने क्लब नहीं संभाले जा रहे। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है। कुछ दिन में तस्वीर साफ हो जाएगी।