- गढ़वाल हीरोज के खिलाफ शुक्रवार को दिल्ली एफसी के मात्र सात खिलाड़ी डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम मैदान पर उतरे
- सात मिनट में दिल्ली एफसी का गोलकीपर प्रणव डेका चोटिल हो गया और इसके साथ ही रेफरी राहुल कुमार गुप्ता ने मैच समाप्ति की लंबी सीटी बजा दी
- नियमानुसार किसी टीम के सात खिलाड़ियों से कम होने की स्थिति में खेल रोककर मैच समाप्त घोषित कर दिया जाता है
- दिल्ली एफसी के हेमचंद ने बताया कि उन्होंने डीएसए की आयोजन समिति को पहले ही सूचित कर दिया था कि उनके अधिकतर खिलाड़ी अंडर-17, अंडर-19 व आई लीग में व्यस्त हैं और हमने नए खिलाड़ियों का सीएमएस कराने के लिए निवेदन किया था, जिसको नकार दिया गया
- गढ़वाल हीरोज के उपाध्यक्ष रतन रावत के अनुसार, हम तो मैच खेलने और जीतने आए थे। हमारे भी कई लड़के अंडर-17 और अंडर-19 में खेल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि गढ़वाल को तीन-तीन अंक और गोल दिए जाएंगे
- एक दिन पहले डीएसए कार्यसमिति और प्रीमियर लीग आयोजन समिति ने बैठक में बहुमत के आधार पर फैसला लिया था कि सीएमएस के लिए विंडो नहीं खोली जाएगी और लीग में भाग ले रहे 11 क्लबों में से आठ ने इस बारे में सहमति व्यक्त की थी
- डीएसए अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने बताया कि दिल्ली एफसी ने इस बारे में कोई लिखित आवेदन भी नहीं दिया और ऐसे में सात खिलाड़ियों के साथ मैदान पर उतरना हैरान करने वाला कदम है
राजेंद्र सजवान
दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के तत्वाधान में आयोजित की जा रही फुटबॉल दिल्ली प्रीमियर लीग में आज दिल्ली एफसी और गढ़वाल हीरोज एफसी के बीच खेला गया मैच तमाशा बन कर रह गया। गढ़वाल हीरोज शुक्रवार को राजधानी स्थित डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में पूरे दमखम के साथ उतरी, लेकिन उसकी प्रतिद्वंद्वी दिल्ली एफसी के मात्र सात खिलाड़ी मैदान पर उतरे। सात मिनट का खेल ही हुआ था कि दिल्ली एफसी का गोलकीपर प्रणव डेका चोटिल हो गया और इसके साथ ही रेफरी राहुल कुमार गुप्ता ने मैच समाप्ति की लंबी सीटी बजा दी। नियमानुसार किसी टीम के सात खिलाड़ियों से कम होने की स्थिति में खेल रोककर मैच समाप्त घोषित कर दिया जाता है।
दो बड़े क्लबों के बीच खेले जाने वाले मैच का लुत्फ उठाने के लिए भले ही गिनती के फुटबॉल प्रेमी स्टेडियम में उपस्थित थे लेकिन दिल्ली एफसी द्वारा आधी-अधूरी टीम उतारे जाने से हर कोई हैरान था। पूछने पर दिल्ली एफसी के श्री हेमचंद ने बताया कि उन्होंने डीएसए की आयोजन समिति को पहले ही सूचित कर दिया था कि उनके अधिकतर खिलाड़ी अंडर-17, अंडर-19 और आई लीग में व्यस्त हैं। हमने नए खिलाड़ियों का सीएमएस कराने के लिए निवेदन किया था, जिसको नकार दिया गया। लिहाजा, मजबूरी में सात खिलाड़ी मैदान पर उतारने पड़े।
दूसरी तरफ, गढ़वाल हीरोज के उपाध्यक्ष एवं टीम के वरिष्ठ अधिकारी रतन रावत के अनुसार, “हम तो मैच खेलने और जीतने आए थे। हमारे भी कई लड़के अंडर-17 और अंडर-19 में खेल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि गढ़वाल को तीन-तीन अंक और गोल दिए जाएंगे।”
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले डीएसए कार्यसमिति और प्रीमियर लीग आयोजन समिति ने बैठक बुलाकर बहुमत के आधार पर फैसला लिया था कि सीएमएस के लिए विंडो नहीं खोली जाएगी। लीग में भाग ले रहे 11 क्लबों में से आठ ने इस बारे में सहमति व्यक्त की थी।
जब इस मामले के बारे में डीएसए अध्यक्ष अनुज गुप्ता से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि लीग सब-कमेटी के चेयरमैन और डीएसए उपाध्यक्ष रिजवान उल हक की अध्यक्षता में हुई बैठक में बहुमत से सीएमएस विंडो नहीं खोलने का निर्णय लिया गया था और सभी टीमों को इस फैसले की जानकारी दी गई थी। अनुज के अनुसार, दिल्ली एफसी ने इस बारे में कोई लिखित आवेदन भी नहीं दिया। ऐसे में सात खिलाड़ियों के साथ मैदान पर उतरना हैरान करने वाला कदम है।
काबिलेगौर है कि पिछले साल आयोजित फुटबॉल दिल्ली प्रीमियर लीग के पहले संसकरण में भी विंडो नहीं खुली थी और बिना किसी विवाद के डबल लेग मुकाबले आयोजित किए गए।