- हॉकी इंडिया के आकाओं से लेकर खिलाड़ियों और कोच ने हुंकार भरनी शुरू कर दी है कि पेरिस में ओलम्पिक गोल्ड जीतेंगे लेकिन दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि भारत को ‘टफ’ ग्रुप मिला है
- भारत को अपने ग्रुप ‘बी’ में ओलम्पिक चैम्पियन बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड और आयरलैंड के साथ स्थान मिला है
- अपनी मेजबानी, अपने मैदान और अपने दर्शकों की मौजूदगी में ओलम्पिक टिकट पाने में नाकाम रही। महिला टीम भी गोल्ड जीतने की बात कर रही थीं परंतु अमेरिका और जापान जैसी टीमों ने उन्हें ओलम्पिक से बाहर कर दिया
- कुछ पूर्व ओलम्पियन भी कह रहे हैं कि भारतीय खिलाड़ी और टीम प्रबंधन बेकार की हुंकार ना भरे, क्योंकि भारतीय हॉकी टीम कभी भी किसी से भी हार सकती है और जरूरत इस बात की है कि हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जाए
राजेंद्र सजवान
पेरिस ओलम्पिक खेलों के लिए चंद महीने बचे हैं और हमेशा की तरह भारतीय हॉकी खिलाड़ियों, कोचों और हॉकी इंडिया के आकाओं ने हुंकार भरनी शुरू कर दी है। हर कोई पेरिस में ओलम्पिक गोल्ड जीतने का दम भर रहा है। लेकिन दबी जुबान में ओलम्पिक ग्रुप मुकाबलों को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि भारत को ‘टफ’ ग्रुप मिला है।
भारत को अपने ग्रुप ‘बी’ में ओलम्पिक चैम्पियन बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड और आयरलैंड के साथ स्थान मिला है। बेशक भारतीय पुरुष हॉकी टीम को कड़ा मुकाबला करना होगा। लेकिन पूल ‘ए’ शामिल नीदरलैंड, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन, स्पेन, मेजबान फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका की किसी मायने में कमजोर नहीं है, बल्कि कहा जा है कि भारत का ग्रुप अपेक्षाकृत आसान है।
कुछ शब्दों में महिला टीम का जिक्र भी किया कर लिया जाए, कि अपनी मेजबानी, अपने मैदान और अपने दर्शकों की मौजूदगी में ओलम्पिक टिकट पाने में नाकाम रही। महिलाएं भी गोल्ड जीतने की बात कर रही थीं परंतु अमेरिका और जापान जैसी टीमों ने उन्हें सबक सिखा कर ओलम्पिक से बाहर कर दिया। अब पदक का दारोमदर पुरुष टीम पर है, जिन्होंने कोरोना प्रभावित टोक्यो ओलम्पिक में कांसा जीतकर 41 साल के बाद पदक के दर्शन किए।
हालांकि मीडिया बयानों में भारतीय हॉकी के कर्णधार और खिलाड़ी इस बार भी गोल्ड जीतने का दम भर रहे हैं लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और न्यूजीलैंड का रिकॉर्ड पिछले कुछ सालों में शानदार रहा है।
देश के कुछ पूर्व ओलम्पियन भी कह रहे हैं कि भारतीय खिलाड़ी और टीम प्रबंधन बेकार की हुंकार ना भरे, क्योंकि बाकी टीमें सिर्फ पाला छूने नहीं आएंगी। उनके अनुसार, भारतीय हॉकी टीम कभी भी किसी से भी हार सकती है। जरूरत इस बात की है कि हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जाए। कम से कम महिला टीम को मिले सबक से सीख ले सकते हैं। हॉकी के जानकारों के अनुसार गर्जने वाले हमेशा बरसते नहीं हैं। यह काहवत भारतीय हॉकी पर सालों से लागू होती आई है।