- खेल मंत्रालय ने शायद इसीलिए कदम उठाया है, क्योंकि फुटबॉल फेडरेशन, उसकी सदस्य इकाइयां, इकाइयों के पदाधिकारी, कोच और तमाम फुटबॉल कुनबा अनुशासनहीनता की हदें पार कर चुका है
- दिल्ली स्थित ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के मुख्यालय फुटबॉल हाउस में क्या चल रहा है, कैसे फुटबॉल से खिलवाड़ हो रहा है, जगजाहिर है
- उम्मीद है कि बेटियों का बचाव करने का दम भरने वाली सरकारें अब जाग जाएंगी क्योंकि खेलमंत्री खुद गंभीर है इसलिए हिमाचल की फुटबॉल के भ्रष्ट अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाना शुरू हो सकता है
राजेंद्र सजवान
देर से ही सही देश का खेल मंत्रालय भारतीय फुटबॉल की बर्बादी और तमाम अनियमितताओं को लेकर गंभीर नजर आया है। कुछ अधिकारी यह भी मानते हैं कि पिछले एशियाड में कमजोर और असंगठित टीम को उतारना भारी भूल थी। मंत्रालय ने शायद इसीलिए कदम उठाया है, क्योंकि फुटबॉल फेडरेशन, उसकी सदस्य इकाइयां, इकाइयों के पदाधिकारी, कोच और तमाम फुटबॉल कुनबा अनुशासनहीनता की हदें पार कर चुका है।
दिल्ली स्थित ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के मुख्यालय फुटबॉल हाउस में क्या चल रहा है, कैसे फुटबॉल से खिलवाड़ हो रहा है, जगजाहिर है। एआईएफएफ के चुनावों से लेकर आज तक ऐसा बहुत कुछ घटित हो चुका है, जिसे लेकर न सिर्फ देश के सबसे लोकप्रिय खेल की निंदा हो रही है, शीर्ष अधिकारियों पर भी थू-थू शुरू हो चुकी है। एआईएफएफ चुनावों में बाइचुंग भूटिया की करारी हार, कुछ माह बाद महासचिव शाजी प्रभाकरण पर गंभीर आरोप, फेडरेशन के लीगल हेड द्वारा अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाना और फिर उसका निष्कासन और अब कल्याण चौबे की कार्य प्रणाली पर उठे सवाल भारतीय फुटबॉल पर कालिख पोतने के लिए काफी हैं। लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी अध्यक्ष कल्याण चौबे चैन की बंसी बजा रहे हैं।
उस वक्त जब भारतीय फुटबॉल पर कहर टूट रहा था चौबे साहब पेट्रोलियम स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (पीएसपीबी) के फुटबॉल टूर्नामेंट के पुरस्कार वितरण समारोह में स्थानीय और आयोजन समिति के अधिकारियों से संबंध बढ़ाने में व्यस्त थे। उन्हें पता जरूर होगा कि राजधानी के इसी डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में कुछ सप्ताह पहले मैच फिक्सिंग की नंगई का खुला नाच हुआ था। उन्हें शायद यह भी जानकारी होगी कि गोवा पुलिस ने एआईएफएफ की कार्यसमिति के एक सदस्य को हिमाचल प्रदेश की महिला खिलाड़ियों के साथ शारीरिक शोषण के आरोप में धर दबोचा है। दीपक शर्मा नाम के यह श्रीमान सालों से विवादास्पद रहे हैं लेकिन एआईएफएफ के नकारापन के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अब ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है। लेकिन शायद आसानी से निकल भी जाएगा, क्योंकि यही भारतीय फुटबॉल का चरित्र रहा है।
उम्मीद है कि बेटियों का बचाव करने का दम भरने वाली सरकारें अब जाग जाएंगी। क्योंकि खेलमंत्री खुद गंभीर है इसलिए हिमाचल की फुटबॉल के भ्रष्ट अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाना शुरू हो सकता है। शिकायतें फुटबॉल हाउस से भी आ रही है। बेहतर होगा कि नीरो बंसी बजाना छोड़कर कोई ठोस कदम उठाएगा।