भारतीय क्रिकेट टीम का दमदार प्रदर्शन जारी है। ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप पर ढंका बजाने के बाद कप्तान विराट कोहली की टीम ने अपनी धरती और घरेलू समर्थकों के सामने इंग्लिश टीम को कुचल कर रख दिया। हालांकि इंग्लैंड की टीम ने विश्व स्तरीय प्रदर्शन करके मेजबान भारत को हालिया दौरे में तगड़ी चुनौती देने की कोशिश की। लेकिन अंग्रेज मुश्किल भारतीय पिचों पर घुटने टेकते नजर आए। मनमाफिक पिचों की मदद से भारतीय टीम टेस्ट सीरीज, टी-20 सीरीज और वनडे सीरीज तीनों पर कब्जा जमाने में सफल रही।
मद्दगार पिचों की रही महत्वपूर्ण भूमिका
भारत की जीत में “मुश्किल” पिचों की भूमिका रही, क्योंकि चेन्नई के एमए चिदम्बरम स्टेडियम की तटस्थ पिच पर पहला टेस्ट हारने के बाद मेजबान टीम पर जीत का दबाव बढ़ गया था। टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए विराट कोहली एंड कम्पनी को हर हाल में चार मैचों की टेस्ट सीरीज जीतनी थी।
लिहाजा पहले एमए चिदम्बरम स्टेडियम की पिच को भारतीय स्टाइल में स्पिन फ्रेंडली (टूटी हुई, धूल उड़ाती, धीमी) बनाया गया। फिर उसके बाद मोटेरा स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच को मंगल जैसी सतह वाली बना दिया गया। इसका परिणाम था कि अंग्रेज न तो चांद की सतह पर बैटिंग कर पाए और न ही उतनी मारक गेंदबाजी कर सके। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत शेष तीनों मैच जीत करके सीरीज 3-1 से अपने नाम करने में सफल रहा।
फिर से चमके रिषभ पंत
पिछली सीरीज की तरह ही रिषभ पंत इस बार भी एक ऐसे विजेता के रूप में उभरे हैं, जो विपक्षी के सामने अकेले चुनौती बनकर खड़ा हो जाता है और एक बार विकेट पर टिक जाने के बाद किसी भी मुश्किल परिस्थिति से टीम इंडिया को निकालकर जीत दिला सकता है। युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ने घरेलू होम सीरीज के दौरान चौथे टेस्ट मैच में मोटेरा की बेहद मुश्किल पर शतकीय पारी खेलकर भारत को जीत दिलाई। उन्होंने 101 बनाकर मैन ऑफ द मैच अवार्ड जीता।
उन्होंने टेस्ट सीरीज में दो अर्धशतक भी जड़े और कुल चार मैचों में 270 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने आठ कैच और पांच स्टंप भी किए। 23 वर्षीय रिषभ ने दो वनडे मैचों दो अर्धशतक भी लगाए। टी-20 सीरीज में उन्होंने कुल 102 रन बनाने अतिरिक्त दो कैच और एक स्टंपिंग की।
दबदबे से भरा प्रदर्शन
इंग्लैंड के खिलाफ भारत का अपनी धरती पर प्रदर्शन दबदबे भरा रहा। भारतीय टीम ने चार मैचों की टेस्ट सीरीज 3-1 से जीती। उसके बाद मेजबान टीम ने पांच मैचों की टी-20 सीरीज 3-2 से अपने नाम की। तीन मैचों वनडे सीरीज पर भी भारत का 2-1 से कब्जा रहा। भारत को दबदबा कायम करने में टूटती-फूटती, धीमी और स्पिन पिचों से मदद मिली।
अगर इंग्लैंड को पहले टेस्ट जैसी तटस्थ पिच पूरी सीरीज में मिल जाती, तो हो सकता था कि परिणाम कुछ और ही होता। फिर भी भारत के इस दौरे में इंग्लैंड को केवल एक टेस्ट, एक वनडे और दो टी-30 मैच जीतने का मौका मिला।
लेकिन मददगार पिच को ही भारत की जीत की वजह बताना सही नहीं होगा। टेस्ट सीरीज में अक्षर पटेल और रविचंद्रन अश्विन की स्पिन जोड़ी ने चार मैचों में से कुल 80 विकेटों में से 59 विकेट झटके। अनुभवी ऑफ स्पिनर अश्विन ने चार मैचों में 471 देकर 32 विकेट चटकाए, जिसमें एक पारी में तीन बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी शामिल है। शानदार गेंदबाजी के अलावा अश्विन ने अपने घरेलू मैदान एमए चिदम्बरम स्टेडियम में खेले गए दूसरे टेस्ट में एक शतक ठोका था और आठ विकेट चटकाए थे।
उनके अलावा रोहित शर्मा ने इस मैच की पहली पारी में शतकीय पारी खेली थी। वहीं, अक्षर ने अपने टेस्ट करियर का धमाकेदार आगाज करते हुए तीन मैचों में 286 रन देकर 27 विकेट चटकाए। इस दौरान 27वर्षीय लेफ्ट आर्म स्पिनर ने एक मैच में एक बार दस विकेट लेने के अतिरिक्त एक पारी में चार बार पांच विकेट लेने का कारनामा किया।
पांच मैचों की टी-20 सीरीज में भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन कप्तान विराट कोहली ने बनाए और सबसे ज्यादा विकेट शार्दुल ठाकुर ने लिये। विराट ने तीन अर्धशतक लगाते हुए 231 रन बनाए जबकि मीडियम पेसर शार्दुल ने आठ विकेट चटकाए। तीन मैचों की वनडे सीरीज में लोकेश राहुल ने एक शतक और अर्धशतक की मदद से 177 रन बनाए। शार्दुल ठाकुर ने 158 रन देकर सबसे ज्यादा सात विकेट चटकाए।
अनुभवी भुवनेश्वर कुमार और अपना अंतर्राष्ट्रीय करियर का आगाज करने वाले प्रसिद्ध कृष्णा ने छह-छह विकेट लिये। इस तरह क्रुणाल पांडेया ने अपने पहले ही वनडे मैच में अर्धशतक ठोका।
कोविड काल में खेली गई सीरीज
इंग्लैंड का दौरा कोविड महामारी के कहर के दौरान भारत में पहली अंतर्राष्ट्रीय खेल गतिविधि थी। इंग्लिश क्रिकेट टीम की सफल मेजबानी ने भारतीय खेल प्रशासकों में एक आत्मविश्वास जगाया है कि वे जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) निर्मित करके देश में सुरक्षित रूप से खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कर सकते हैं।