Captain Chand Roop Akhada, who has given many international and national champion wrestlers to the country

फिर खबरों में चाँदरूप अखाड़ा!

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

देश को अनेकों अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय चैम्पियन पहलवान देने वाला कैप्टन चाँद रूप अखाड़ा अपनी रंगत पकड़ने लगा है। फ़ौजी गुरु खलीफा चाँद रूप की मृत्यु के बाद लग रहा था कि उनके अखाड़े की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। लेकिन उनके पोते अमित ढाका ने दादा के अखाड़े को जिंदा करने का जो बीड़ा उठाया था उसके रिजल्ट आने लगे हैं।

हाल में संपन्न राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के बालक वर्ग में अखाड़े के चार पहलवानों ने पदक जीत कर उँची छलाँग लगाई है। फ्रीस्टाइल राष्ट्रीय कुश्ती में एक-एक गोल्ड और सिल्वर तथा दो ब्रांज मेडल जीतकर जूनियर पहलवानों ने भविष्य की उम्मीद जगाई है।

पदक विजेताओं में साहिल कलकल ने दोहरी कामयाबी के साथ 110 किलो कैडेट वर्ग में गोल्ड और जूनियर में ब्रोंज़ जीता, जबकि साहिल ढाका ने 97 किलो जूनियर में सिल्वर और सनी ने 71 किलो कैडेट में ब्रांज मेडल जीतकर अखाड़े के पुनर्जागरण का शंखनाद किया।

अशोक कुमार गर्ग, ओमवीर, रोहताश दहिया, धर्म वीर, रमेश भूरा और धर्मेन्द्र दलाल जैसे अर्जुन अवॉर्डी और ओलंपियन पैदा करने वाले चाँद रूप अखाड़े की कामयाबी का बड़ा श्रेय कोच और दिल्ली कुश्ती एसो. के उपाध्यक्ष अमित ढाका और उनके कोचिंग स्टाफ के सदस्यों योगेंद्र गोस्वामी और अशोक यादव को जाता है।

उनके टीम वर्क ने लगभग बंद होने की कगार तक पहुँचने वाले अखाड़े को फिर से जीवित कर दिखाया है यही कारण है कि भारतीय कुश्ती फ़ेडेरेशन के अध्यक्ष और सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह ने अमित और उनकी टीम की जोरदार शब्दों में सराहना की है। उनके अनुसार छोटी उम्र के पहलवानों की सफलता का सीधा सा मतलब है कि अखाड़ा सही दिशा में चल रहा है और जल्दी ही ब्बाल पहलवान अंतरराष्ट्रीय मंच पर धूम मचा सकते हैं।

कुश्ती प्रेमी जानते हैं कि भारतीय कुश्ती में गुरु हनुमान अखाड़े के अलावा मास्टर चंदगी राम अखाड़े और कैप्टन चाँद्रूप अखाड़े का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तत्पश्चात छत्रसाल स्टेडियम के अस्तित्व में आने के बाद स्थापित अखाड़े सुस्त पड़ गए थे छत्रसाल अखाड़े ने महाबली सतपाल, स्वर्गीय यशवीर और रामफल जैसे द्रोणाचार्यों की मौजूदगी में सुशील और योगेश्वर जैसे ओलम्पिक पदक विजेता पैदा किए तो देश को दर्जनों अंतरराष्ट्रीय चैम्पियन भी दिए।

बाल पहलवानों की बड़ी कामयाबी का सीधा सा मतलब है कि 2017 में द्रोणाचार्य कैप्टन चाँद रूप की मृत्यु के बाद जो सूनापन आ गया था, उसे भरने के लिए अखाड़े की नयी पौध तैयार है।

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