June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

….लेकिन भारतीय फुटबाल को चाहिए कम से कम बीस छेत्री!

But Indian football needs at least twenty Chhetri

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

“भारतीय फुटबाल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ल्योन मेस्सी को पीछे छोड़ कर देश के लिए सर्वाधिक गोल जमाने वाले खिलाड़ियों में दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। अब सिर्फ क्रिस्टियानो रोनाल्डो ही उनसे आगे हैं।” बांग्लादेश के विरुद्ध दो शानदार गोल जमाने वाले कप्तान के बारे में भारतीय मीडिया की यह प्रतिक्रिया मायने रखती है।

भले ही भारत फुटबाल राष्ट्रों में फिसड्डी है, जिसे विदेशों में कोई मैच जीतने में बीस साल लग जाते हैं, जिसे उप महाद्वीप की महाफिसड्डी टीमें भी पीट देती हैं और जिसे एशियाई खेलों में भाग लेने तक का सौभाग्य प्राप्त नहीं है। सभी जानते हैं कि कभी यह देश एशिया का चैंपियन था और चार बार ओलंपिक भी खेल चुका है। तब महाद्वीप के बहुत से देशों ने फुटबाल का पहला सबक भी ध्यान से नहीं पढ़ा था।

भारतीय फुटबाल की बदहाली को देखते हुए सुनील छेत्री की रोनाल्डो और मेस्सी जैसे खिलाड़ियों से तुलना करना न्याय संगत नहीं फिरभी आम भारतीय का सीना चौड़ा हो जाता है। वह एक मंजा हुआ खिलाड़ी है और किसी भी कोण से कभी भी गोल जमा सकता है। बांग्लादेश के विरुद्ध जमाए उसके दोनों गोल वर्ल्ड क्लास थे। लेकिन यदि उसे चैंपियन देशों के खिलाफ ऐसे मौके मिलते तो जरूरी नहीं गोल कर पाता।

सुनील के अलावा भारतीय टीम में एक और भरोसे का खिलाड़ी गोलकीपर संधू है, जिसने अब तक खेले गए सभी मुकाबलों में भारतीय गोल की बखूबी रक्षा की है। अर्थात दो खिलाड़ियों पर टिकी है भारत की फुटबाल। बाकी खिलाड़ियों को बुरा जरूर लगेगा लेकिन उनमें से शायद ही कोई कसौटी पर खरा उतरता हो। बेशक, भारत को हर पोजीशन पर एक सुनील छेत्री की जरूरत है।

जब तक उनके जैसे बीस खिलाड़ी टीम में नहीं होंगे, सुधार संभव नहीं है। यह सही है कि सुनील रोनाल्डो और मेस्सी की तरह हर वक्त चौकन्ना रहने वाला स्ट्राइकर है और हर कठिन प्रयास को बहुत आसान बनाने में माहिर है। लेकिन बांग्लादेश, पाकिस्तान,नेपाल, अफगानिस्तान जैसी कमजोर टीमों की रक्षापंक्ति की ताकत को आसानी से समझा जा सकता है। भारतीय नजरिए से वह अभूतपूर्व है लेकिन यूरोप, लेटिन अमेरिका की क्लब फुटबॉल में उसको कोई जगह नहीं मिल पाई।

भारतीय फुटबाल का बड़ा दुर्भाग्य स्तरीय खिलाड़ियों की कमी है। समस्या यह भी है कि मीडिया भी अपनी फुटबाल के साथ न्याय नहीं कर रहा। किसी छोटी मोटी जीत पर पागलपन दिखाना भारतीय मीडिया का चरित्र बन गया है।

कोई भी यह जानने का प्रयास नहीं करता कि क्यों विदेशी कोच भारतीय फुटबाल को गुमराह कर रहे है? क्यों फुटबाल फेडरेशन ईमानदारी से काम नहीं कर पा रहा? और क्यों हमें एक जीत के लिए दस बीस साल तक किसी सुनील छेत्री का इंतजार करना पड़ता है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *