फुटबॉल कल्याण चौबे के बूते की बात नहीं!
राजेंद्र सजवान ‘मर्ज बढ़ता गया, ज्यूं-ज्यू दवा की’, भारतीय फुटबॉल पर यह कहावत एकदम फिट बैठती है। खासकर, पिछले पचास सालों से फुटबॉल उन निकम्मे खेलों में सबसे आगे की कतार पर है, जिन्होंने नहीं सुधरने की कसम खाई है। वरना क्या कारण है कि सरकार और प्रयोजकों की पर्याप्त मदद के बावजूद फुटबॉल नीचे …