दूसरे दर्जे के विदेशी कोच अपने द्रोणाचार्यों पर भारी।
क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान खेल मंत्री किरण रिजिजू गाये बगाहे कहते मिल जाएंगे कि अपने कोचों को बढ़ावा देने की जरूरत है। अनेक अवसरों पर अपने कोचों पर विश्वास करने और उनकी सेवाएं लेने का दम भी भरते हैं। लेकिन उन्हें किसने रोका है? वह तो देश के खेलों के सर्वेसर्वा हैं। कोई ठोस नीति …
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