राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड
लोकतंत्र के चार स्तंभो-विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया में से कौनसा ज़्यादा दमदार है और भारतीय नज़रिए से कौनसा ऐसा स्तंभ है जोकि अपना काम ईमानदारी से अंजाम नहीं दे रहा, इसे लेकर अलग अलग राय हो सकती है।
लेकिन देश के चार नामी द्रोणाचार्यों ने खेल पत्रकारों की भूमिका को जम कर सराहा और कहा कि भारतीय खेल यदि करवट बदल रहे हैं या विश्व स्तर पर पदक जीत रहे हैं तो बड़ा श्रेय खेल पत्रकारों को जाता है।अवसर था साप्ताहिक समाचार पत्र द्रोणाचार्य टाइम्स और उसके वेब पोर्टल और यू टयूब चैनल ‘डीटी न्यूज’ का लोकार्पण।
चार खेलो के चार श्रेष्ठ द्रोणाचार्यों- बलवान सिंह(कबड्डी), अजय बंसल(हॉकी), राज सिंह(कुश्ती) और गुरचरण सिंह गोगी(जूडो) ने अपने वक्तव्यों से उस समय भारतीय खेल पत्रकारिता की पीठ थपथपाई जबकि कोरोनकाल के चलते खेल पत्रकार सबसे ज़्यादा पडताडित हैं और महामारी का सबसे ज़्यादा असर उनकी रोज़ी रोटी पर पड़ा है।
ज्ञांतव्य है कि पिछ्ले डेढ़ साल में सैकड़ों खेल पत्रकारों की नौकरी गई। हज़ारों दाने दाने के लिए मोहताज हुए और प्रिंट मीडिया को सबसे बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं। चारों द्रोणाचार्यों ने खेल पत्रकारों को हौंसला बनाए रखने का हौंसला दिया और कहा कि वे आज जो कुछ भी हैं मीडिया के कारण हैं। सभी को भरोसा है कि बुरे दिन जल्द दूर होंगे और मीडिया सबसे मजबूत स्तंभ बन कर फिर से मजबूती से खड़ा होगा।
द्रोणाचार्य टाइम्स के लोकार्पण अवसर पर नामी द्रोणाचार्यों की उपस्थिति को इंडियन मीडिया जर्नलिस्ट यूनियन(आईएमजेयू) ने जमकर सराहा और आयोजकों के साथ स्टेज शेयर करते हुए कहा कि मीडिया देश का सबसे सशक्त स्तंभ है और हमेशा बना रहेगा।
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाला भास्कर, द्रोणाचार्य टाइम्स के प्रबंध संपादक राम गोपाल, संपादक विनय यादव, सह संपादक सतेंद्र मिश्रा, विधायक विजेंद्र गुप्ता, पेफ़ी के महासचिव पीयूष जैन, खेल पत्रकार, कमेंटेटर, शिक्षा विद और कई किताबों की लेखिका प्रोफ़ेसर स्मिता मिश्रा भी उपस्थित थीं|
देश भर से राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने आए पत्रकारों ने द्रोणाचार्य टाइम्स को भविष्य का अख़बार बताया और कहा कि चौथे स्तंभ को मजबूती प्रदान करने में द्रोणाचार्य टाइम्स दमदार भूमिका निभाएगा।
कबड्डी द्रोणाचार्य बलवान सिंह का मानना है कि खेल पत्रकारों ने उन्हें हमेशा उर्जा प्रदान की है। पहले पहलवानी करते थे और पत्रकारों ने उनके छोटी जीत को भी बड़ा बना कर मनोबल बढ़ाया, जब चोट के कारण कबड्डी से जुड़े , खिलाड़ी और कोच के रूप में नाम सम्मान कमाया तो यह सब मीडिया के कारण संभव हुआ।
कुश्ती द्रोणाचार्य राज सिंह के गुरुत्व गुणों के चलते भारत ने एशियाड, वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलम्पिक में ढेरों पदक जीते । उनकी कोचिंग का लोहा दुनिया मानती थी। लेकिन उन्होने भी अपनी कामयाबी का श्रेय खेल पत्रकारों और ख़ासकर हिन्दी पत्रकारों को दिया और कहा कि वह हमेशा पत्रकारिता को सबसे मजबूत स्तंभ मानते हैं।
भले ही भारतीय जूडो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पहचान नहीं बना पाई लेकिन देश के पहले जूडो द्रोणाचार्य गुरचरण गोगी सफलतम कोच रहे हैं। उनके कई शिष्यों ने अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में नाम कमाया, जिसका श्रेय वह अपनी धर्म पत्नी और देश की श्रेष्ठ महिला जूडो कोच सुमन गोगी को देते हैं जिन्होने कोच रहते शिक्षा और खेल को एक साथ आगे बढ़ाया। उनके द्वारा तैयार ढेरों महिला खिलाड़ी ग़रीब घरों से निकल कर उच्च पदों पर आसीन हुई हैं। गोगी दंपति भी मानते हैं कि उन्हें मीडिया ने हर कदम पर सहयोग और हौंसला दिया।
हॉकी द्रोणाचार्य अजय बंसल भारतीय खेल प्राधिकरण के उच्च पदों पर रहे । उनके द्वारा तैयार दर्जनों खिलाड़ी ओलम्पियन बने और सरकारों के उच्च पदों पर काबीज हुए, जिनमें उड़ीसा और हरियाणा के खेल मंत्री दिलीप टिर्की जैसे नाम भी शामिल हैं।
बंसल भी मानते हैं कि पत्रकारों ने उन्हें हमेशा हिम्मत दी। इंडियन मीडिया जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष बाला भास्कर ने माना की भारतीय मीडिया फिर से पुराने तेवरों में नज़र आएगा और देश को आगे बढ़ने में पहले स्तंभ जैसा काम करेगा।