क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान
खबर है कि घर घर योग पहुंचाने के दिल्ली सरकार के फार्मूले को देश की बहुत सी सरकारें अपनाने के लिए तैयार हैं। कारण, जहाँ एक ओर देश और प्रदेश की जनता स्वस्थ होगी तो साथ ही सरकारों और दलों की लोकप्रियता में भी बढ़ोतरी होगी। जहां तक केजरीवाल सरकार की बात है तो उसने अधिकाधिक पार्कों, गली मोहल्लों और जरुरत पड़ी तो अन्य स्थलों में योग क्लास शुरू करने का निर्णय ले लिया है।
सरकार अपने बजट में योग के लिए 25 करोड़ की घोषणा के साथ साथ साथ योग सिखाने के लिए बाकायदा 450 योग प्रशिक्षकों को भी तैयार कर रही है| ज़ाहिर है दिल्ली सरकार के योग कार्यक्रम का सबसे बड़ा असर भारतीय योग संस्थान की कक्षाओं पर पड़ने जा रहा है।
“सर्वे भवन्तु सुखिन” के उद्देश्य के साथ 10 अप्रैल 1967 को स्वर्गीय प्रकाश लाल द्वारा भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन एवं मानव कल्याण के लिए’ भारतीय योग संस्थान’ का गठन किया गया था । यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान और निष्काम सेवा को उदेश्य पूर्ती का माध्यम मानते हुए घर घर योग को पहुंचाने का व्रत लेने के साथ इस संस्थान ने देश और दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाई।
सारा विश्व एक परिवार की तर्ज पर देश विदेश में योग केंद्र खोले गए। नतीजन पिछले 55 वर्षों में संस्थान ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूके, मारीशस, फिजी, नेपाल, दुबई, ताईवान, चीन, अमेरिका आदि देशों में 3400 से अधिक निशुल्क योग साधना केंद्र खोले। इस संस्थान का कभी किसी धर्म, जाति या दलगत राजनीति से सरोकार नहीं रहा। योग के प्रचार और प्रसार के लिए एक त्रेमासिक पत्रिका”योग मंजरी” का प्रकाशन शुरू किया गया, जोकि योग के सन्देश को दूर तक पहुंचाने में कारगर साबित हुई है।
पिछले दो तीन सालों में महामारी ने जन मानस को हिला क़र रख दिया है। दुनियाभर के डाक्टर, वैज्ञानिक, वैद, हकीम और चिकित्सा शास्त्री यह मान चुके हैं कि योग ही कोरोना या किसी भी महामारी की तंत दवा है। भारत, चीन, जापान, कोरिया ही नहीं अमेरिक, इंग्लैण्ड, इटली, फ़्रांस, रूस सहित सभी देशों में योग का प्रचलन बढ़ रहा है। इसके साथ ही योग सिखाने पढ़ाने की कई दुकानें भी खुल गई हैं।
हैरानी वाली बात यह है कि फ्री में योग सिखाने वाला भारतीय योग संस्थान पर्तिस्पर्धा के दौर में पिछड़ रहा है। पार्कों और सामुदायक केंद्रों में चलने वाली कक्षाओं में योग साधक लगातार घट रहे हैं और दिल्ली सरकार की क्लास शुरू होने के बाद कई केंद्र बंद भी हो सकते हैं। कारण कई हैं लेकिन एक सर्वे से पता चला है कि ज्यादातर केंद्र संस्थापक प्रकाश लाल जी के सन्देश से हट कर अन्य गतिविधियों में संलिप्त हैं।
कुछ साधकों और पदधिकारियों के अनुसार आम साधक से लेकर,केंद्र प्रमुख , मंत्री, प्रधान आदि बदलाव चाहते हैं। उन्हें संस्थान द्वारा किसी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा। ऊपर से योग मंजरी की कीमत भी जेब से चुकानी पड़ती है।
लेकिन संस्थान के सलाहकार और योगमंजरी के सम्पादक मंडल के सदस्य शरत चंद्र अग्रवाल का मानना है कि भारतीय योग संस्थान हमेशा प्रकाश लाल जी द्वारा दिखाए मार्ग पर चलता रहेगा। चाहे योग सिखाने की कितनी भी दुकाने खुल जाएं लेकिन उनका संस्थान योग को व्यवसाय कदापि नहीं बनने देगा और निशुल्क योग सिखाना जारी रखेगा| वह कहते हैं कि उनके योग परिवार से सभी समर्पित और संस्थान के आदर्शों पर चलने वाले लोग जुड़े हैं।