बची राम के साथ बाज भी उड़ चला

बच्ची के साथ बाज भी उड़ चला!

राजेन्द्र सजवान/क्लीन बोल्ड

देश की राजधानी की दो फुटबाल हस्तियों का दो दिन में अनंत यात्रा पर निकलना संयोग हो सकता है लेकिन फुटबाल जानकारों और खिलाड़ियों का मानना है कि बच्ची राम और हकीकत सिंह का यूं जाना भारतीय फुटबाल की भारी क्षति है। खासकर दिल्ली की फुटबाल उन्हें हमेशा याद करेगी।

5 फरवरी को बच्ची राम ने शिलॉंग में आखिरी सांस ली तो अगले ही दिन बाज के नाम से विख्यात हकीकत सिंह भी कूच कर गए। बच्ची राम देश के जाने माने फुटबाल रेफरी थे। उन्हें फुटबाल के साथ साथ हॉकी के खेल में भी महारथ हासिल थी। राजधानी और देश के फुटबाल एवम हॉकी खिलाड़ियों में उन्हें लोकप्रियता हासिल थी।

हकीकत को चील और बाज की उपाधि उनके फैन्स से मिली, क्योंकि उनकी नजर बाज की तरह थी और गोल की रक्षा दीवार कहे जाते थे। 6 फुट से कहीं ऊंचे हकीकत दिल्ली के शिमला यंग्स क्लब, दिल्ली राज्य और भारतीय रेलवे के नामी गोल कीपर रहे। एक अच्छे रेफरी और कोच के रूप में भी उन्होंने खूब नाम कमाया।

दिल्ली के जाने माने फुटबाल खिलाड़ियों, रैफरियों, क्लब अधिकारियों और दिल्ली साकर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने एक श्रधांजलि सभा का आयोजन कर दोनों हस्तियों को याद किया। दिल्ली फुटबाल के पितामह और वरिष्ठ पदाधिकारी नरेंद्र भाटिया, जाने माने अन्तरराष्ट्रीय खिलाड़ी रंजीत थापा, अंतर राष्ट्रीय रेफरी जे सिंह, रिजवान, विजय राम ध्यानी, श्री चड्ढा, जय प्रकाश, घोष, वीरेंद्र, लियाकत अली, राज्य के खिलाड़ियों और क्लब अधिकारियों हेम चंद, शंकर लाल, मुन्ना नेगी, राजीव गुप्ता, नागेंद्र सिंह, जूलियस, अनादि बरुआ, आनंद डबास, राम सिंह,रमेश नौटियाल, धन सिंह, हाफिज सईद, राजेश सिंह, साजिद, कमल, नईम, हर गोपाल, जगदीश मल्होत्रा, गुलजार, नरेश मान, लक्ष्मी नारायण, सुरेश आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

श्री भाटिया ने बताया कि बच्ची राम बेहद जिंदा दिल इंसान थे और देश के फुटबाल और हॉकी मैदानों की रौनक रहे। हेमचंद और अनादि बरुआ ने दोनों खिलाड़ियों के योगदान को याद किया तो जे सिंह और रिजवान ने उन्हें श्रेष्ठ रेफरी और खिलाड़ियों में स्थान दिया। लक्ष्मी नारायण ने बताया की कैसे बच्ची ने बीबी स्टार्स क्लब को अपने बच्चे की तरह पाला पोशा।

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