फुटबॉल को क्यों गरिया रहा है चीनी मीडिया

  • ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि चीन की अंडर 23 फुटबॉल टीम एशियन कप में जापान और कोरिया से फिर से पिट कर दौड़ से बाहर हो गई है और पेरिस ओलम्पिक के क्वालीफाई करने में विफल हुई
  • फेडरेशन अधिकारियों, चयनकर्ताओं और तमाम जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध मीडिया ने जैसे बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है
  • शायद भारत और चीन की सोच में यही फर्क है, क्योंकि देश के मीडिया में फिलहाल खेलों का कोई जिक्र नहीं, इलेक्शन और आईपीएल, बस यही चल रहा है
  • जहां तक फुटबॉल में हारने की बात है तो भारतीय फुटबॉल टीम पिछले सात दशकों से लगातार पिट रही है और अपमानित हो रही है और भारत का मीडिया चैन की बंसी बजा रहा है और अपने पिटे हुए खिलाड़ियों को ‘ब्ल्यू टाइगर्स’ और ‘ब्ल्यू टाइग्रेस’ जैसे संबोधन दे रहा है
  • एआईएफएफ खराब फॉर्म की जांच पड़ताल की बजाय आपस में गुत्थम-गुत्था हो रही है और अपने मीडिया को क्योंकि क्रिकेट भा गया है इसलिए फुटबॉल के शर्मनाक प्रदर्शन पर खामोश है

राजेंद्र सजवान

चीन का मीडिया आजकल अपनी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के प्रदर्शन को देखकर बेहद आक्रामक है और राष्ट्रीय फुटबॉल संघ, कोचों और खिलाड़ियों को लेकर बुरी तरह से बिफरा हुआ है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि चीन की अंडर 23 फुटबॉल टीम एशियन कप में जापान और कोरिया से फिर से पिट कर दौड़ से बाहर हो गई और पेरिस ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने में विफल हुई है। चीन के फुटबॉल प्रेमी, खिलाड़ी और राजनीतिक विरोधी इस शर्मनाक प्रदर्शन को पचा नहीं पा रहे हैं और प्रिंट व सोशल मीडिया में बड़ी बहस छिड़ी है। फेडरेशन अधिकारियों, चयनकर्ताओं और तमाम जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध मीडिया ने जैसे बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है।

   है ना कमाल की बात। एक आयु वर्ग की टीम के खराब प्रदर्शन को लेकर मीडिया किस कदर आक्रामक हो गया है। शायद भारत और चीन की सोच में यही फर्क है। अपने देश में चुनाव हो रहे हैं। पूरा मीडिया, छोटे-बड़े अखबार राजनीतिक दलों की लप्पो-चप्पो में लगे हैं। देश को खेल महाशक्ति बनाने की झूठी कसमें खाने वालों को यह भी पता नहीं है कि पेरिस ओलम्पिक के लिए तीन माह का समय बचा है। सच तो यह है कि देश के मीडिया में फिलहाल खेलों का कोई जिक्र नहीं। इलेक्शन और आईपीएल, बस यही चल रहा है।

 

  अकसर पूछा जाता है कि चीन खेल महाशक्ति कैसा बना और कैसे चीनी खिलाड़ी अमेरिका, रूस, जर्मनी और तमाम यूरोपीय देशों को पछाड़ रहे हैं? इस सवाल का जवाब उसके मीडिया ने लड़कों की अंडर-23 टीम की हार के बाद दे दिया। जहां तक फुटबॉल में हारने की बात है तो भारतीय फुटबॉल टीम पिछले सात दशकों से लगातार पिट रही है और अपमानित हो रही है। हमारी अंडर-23 टीम, राष्ट्रीय टीम और तमाम आयु वर्गों की टीमें लगातार पिट रही हैं, अपमानित हो रही हैं और भारत का मीडिया चैन की बंसी बजा रहा है। अपने पिटे हुए खिलाड़ियों को ‘ब्ल्यू टाइगर्स’ और ‘ब्ल्यू टाइग्रेस’ जैसे संबोधन दे रहा है। 

   फुटबॉल पर देशवासियों के खून पसीने की कमाई लुटाई जा रही है और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) खराब फॉर्म की जांच पड़ताल की बजाय आपस में गुत्थम-गुत्था हो रही है। अपने मीडिया को क्योंकि क्रिकेट भा गया है इसलिए फुटबॉल के शर्मनाक प्रदर्शन पर खामोश है। बस यही फर्क है चीन और भारत की सोच में। एक खेल महाशक्ति है तो हम बस झूठे नारे उछाल कर देश को गुमराह कर रहे हैं।

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