क्लीन बोल्ड/ राजेन्द्र सजवान
देश के सबसे पुराने अखाड़े, नामीऔर असंख्य पदक विजेता पहलवान पैदा करने वाले गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला को भारतीय खेल प्राधिकरण ने अपनी खेल प्रोत्साहन स्कीम में शामिल कर लिया है। यह खबर न सिर्फ अखाड़े के लिए सुखद है, भारतीय कुश्ती को नई दिशा में ले जाने का शानदार प्रयास भी कहा जा सकता है।
भारतीय खेल प्राधिकरण ने अखाड़े के छोटी आयु वर्ग के 20 पहलवानों को प्रशिक्षण देने का फैसला किया है। चुने गए पहलवानों को प्रतिमाह एक एक हज़ार और किट का खर्च दिया जाएगा। अखाड़े के संचालक और पूर्व साई कोच राव महा सिंह के अनुसार उनका अखाड़ा अब फिर से खोई पहचान को हासिल करने के लिए नई ऊर्जा के साथ तैयार है। महा सिंह मानते हैं कि 1999 में अखाड़े के जन्मदाता और कर्मयोगी गुरु हनुमान के निधन के बाद से अखाड़ा कुछ सुस्त पड़ गया था लेकिन अब साई और बिड़ला मिल के प्रोत्साहन से कामयाबी की नई इबादत लिखी जाएगी।
कोच महासिंह के अनुसार द्रोणाचार्य गुरु हनुमान का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ है। जाने माने गुरु द्रोणाचार्य राज सिंह, महाबली सतपाल, राष्ट्रीय कोच जगमिन्दर, अर्जुन अवार्डी ओलंपियन सुजीत मान, राजीव तोमर और कई अन्य समर्पित कोच पहलवानों को सिखाने पढ़ाने के लिए तैयार हैं। शीलू और चरणदास भी चुने हुए बाल पहलवानों को सही दिशा देने में भूमिका निभाएंगे।
महा सिंह मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कुश्ती मैट पर लड़ी जाती है लेकिन वह अपने पहलवानों को मिट्टी से जुदा नहीं करेंगे। उनके अनुसार कुश्ती का पहला सबक मिट्टी में सीखा जाता है। भारतीय मौसम के हिसाब से मिट्टी पसीने को सोखती है और मिट्टी में कई अन्य गुण भी हैं। कोच ने साई का धन्यवाद किया और कहा कि एक मजबूत टीम साथ होने के चलते उनका अखाड़ा चार पांच सालों में निखर जाएगा।
गुरु हनुमान अखाड़े ने भले ही कोई ओलंपिक पदक विजेता पैदा नहीं किया लेकिन दर्जनों ओलंपियन, सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय, कई एशियाड और कामनवेल्थ चैंपियन इस अखाड़े से निकले हैं। महा सिंह के अनुसार , चूंकि गुरु हनुमान की आत्मा यहां पर वास करती है इसलिए ओलंपिक गोल्ड भी यहीं से निकलेगा।