क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
जो क्रिकेट पंडित और पूर्व क्रिकेटर भारतीय क्रिकेट की सनसनी ऋषभ पंत को कल तक बच्चा कह रहे थे चंद दिनों में ही उनके सुर बदल गए हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बल्ले से जौहर दिखाने के बाद भी कुछ लोग कह रहे थे कि उसे अभी टीम की ज़रूरत के अनुसार खेलना सीखना होगा। साथ ही विकेट के पीछे भी और मेहनत करनी पड़ेगी।
हालांकि उसने आस्ट्रेलियाई दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया पर देश के जाने माने क्रिकेट समीक्षक और विशेषज्ञ कहते रहे कि अभी से उसके बारे में कोई राय बनाना ठीक नहीं होगा। कुछ क्रिकेट पंडितों ने उसे कुछ और समय तक आजमाने की बात की और उसे इंग्लैंड के विरुद्ध खेले जाने वाले चार टेस्ट मैचों की कसौटी पर परखने की बात कही।
ऋषभ पंत ने दिखा दिया है कि उसकी जितनी भी परीक्षा ली जाएगी वह और निखर कर आएगा और विकेट के आगे पीछे उससे बेहतर फिलहाल कोई नहीं है। अहमदाबाद में खेले गए चौथे टेस्ट में उसने उस समय खूंटा गाड़ दिया जब दूसरे छोर से प्रमुख भारतीय बल्लेबाज इंग्लैंड के गेंदबाजों के सामने असहज थे। मैच दर मैच बेहतर प्रदर्शन से उसने टीम में न सिर्फ अपनी जगह पक्की की है अपितु यह भी दिखा दिया है कि अब कोई माई का लाल उसे हिला नहीं सकता।
उसके कप्तान विराट कोहली, मंजे हुए बलल्लेबाज रोहित शर्मा और तमाम साथी खिलाड़ी तो यहां तक कहने लगे हैं कि वह टीम में सबसे भरोसे का खिलाड़ी है और उसके बिना टीम की कल्पना नहीं की जा सकती।
जब बीसी सीआई अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान उसे विलक्षण प्रतिभा बताते हैं और उसके प्रदर्शन को अभूतपूर्व कहते हैं तो और किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। गांगुली का मानना है कि वह आने वाले दिनीं में मैच विजेता खिलाड़ी बना रहेगा और बार बार हैरान करने वाले खेल से भारतीय क्रिकेट को गौरवान्वित करेगा। वह हर प्रकार की क्रिकेट का दिग्गज खिलाड़ी बन चुका है।
टीम इंडिया के मिस्टर भरोसेमंद रोहित शर्मा कहते हैं कि पंत को समझना मुश्किल है। उसकी बल्लेबाजी का अपना अंदाज है। लेकिन वह हारी बाजी को जीत में बदलने की योग्यता रखता है और यही उसकी सबसे बड़ी खूबी है। यही कारण है कि पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर और अन्य कई अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेटर ऋषभ के दीवाने हैं।
ऋषभ के पक्ष में एक बात यह भी जाती है कि बार बार पूछे जानेवाले उस सवाल का जवाब भी मिल गया है, जिसमें कहा जाता रहा कि कौन होगा धोनी का उत्तराधिकारी? जी हां, ऋषभ ने तमाम परिक्षाएं पास कर ली हैं । अब कुछ भी साबित करना बाकी नहीं रहा। अहमदाबाद टेस्ट में उसने यह भी दिखाया कि टीम की जरूरतों के अनुसार धीमी बल्लेबाजी भी कर सकता है।
महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानने वाले ऋषभ अब सभी परीक्षाएं पास कर धोनी के सही उत्तराधिकारी घोषित किए जा सकते हैं। उसके पास रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन के लिए पर्याप्त समय है। जिस उम्र में आम क्रिकेटर पहला सबक सीख रहा होता है उस उम्र में ऋषभ भारतीय टीम का मजबूत स्तंभ बन चुका है।
अब उसकी तुलना महान विकेट कीपर बल्लेबाजों से की जाने लगी है, जोकि अपनी किस्म की एक और उपलब्धि कही जा सकती है।
बधाई ऋषभ! भारत और उत्तराखंड को आप पर गर्व है।।