क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
“मुझे क्या मालूम था कि रबड़ के स्लीपर पहनकर गेंदबाजी करने वाला लंबू एकदिन भारतीय क्रिकेट टीम का भरोसेमंद गेंदबाज बन जायेगा। रोहतक रोड़ जिमखाना में जब वह पहले दिन आया तो मैंने उसे कतई गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन आज मुझे उस पर नाज है,” अपने शिष्य इशांत शर्मा की मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति से कोच श्रवण कुमार बेहद खुश हैं और मानते हैं कि वह आज भी सीख रहा है।
कुछ साल पहले श्रवण कुमार ने गंगा इंटरनेशनल स्कूल के मैदान पर मीडिया को संबोधित करते हुए इशांत के बारे में कहा था कि यह लड़का लंबी रेस का घोड़ा है। इशांत ने अपने गुरु की बात सच कर दिखाई। 32 साल की उम्र में भी वह थका नहीं है और कुछ और साल अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रहना चाहता है।
श्रवण तो कहते हैं कि वह अभी चार साल तक आसानी से खेल सकता है। इसलिए क्योंकि कागजों में उसकी वास्तविक उम्र दर्ज है। वरना ज्यादातर खिलाड़ियों की उम्र में हेराफेरी देखी गई है। लेकिन विराट और इशांत इस मामले में पाक साफ हैं। इशांत ऐसे दूसरे तेज गेंदबाज हैं , जिसने 300 विकेट का आंकड़ा पार किया है। उससे पहले कपिल देव ने यह उपलब्धि हासिल की थी। वैसे कुल दस भारतीय गेंदबाज यह करिश्मा करने में सफल रहे हैं।
अहमदाबाद में खेल गया तीसरा टेस्ट मैच इशांत का सौवां टेस्ट था, निसमें भारत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इशांत के बारे में कोच कहते हैं कि वह आज के खिलाड़ियों की तरह नहीं था, जोकि समय के पाबंद नहीं हैं। आज कोच मैदान में पहुंचकर खिलाड़ियों का इंतजार करता है, जबकि इशांत समय से पहले मैदान में पहुंच जाता था और कुछ नया करने का जुनूनी था।
इशांत के बाद कौन? इस सवाल के जवाब में उलट सवाल करते हुए श्रवण पूछते हैं कि सचिन के बाद कौन, इस सवाल का जवाब तो आचरेकर साहब भी नहीं दे पाए थे। इसलिए क्योंकि बड़े खिलाड़ी खुदब खुद तैयार होते हैं। उन्हें उनका अनुशासन और दृढ़ इच्छा शक्ति कामयाब बनाते हैं।