रघुनंदन सिंह(राजस्थान)
भारतीय हॉकी को समर्पित एक महान परिवार जिसने तीन तीन ओलंपियन खिलाड़ी भारतीय टीम को दिए बल्कि तीन पीढ़ियों तक भारतीय हॉकी की सेवा की, स्वर्गीय मेजर ध्यान चंद जी का परिवार जिसमें मेजर ध्यान चंद जी के अलावा उनके छोटे भाई रूप सिंह जी और पुत्र अशोक कुमार जी ने हॉकी के खेल में देश का नाम गौरवान्वित किया।
आज 1 जून 1950 को मेजर ध्यानचंद के परिवार में उस भारत कुमार ने जन्म लिया जिसने अपने अद्भुत खेल कौशल से भारत को भारत भूमि को हमेशा गौरान्वित किया औऱ उस भारत कुमार का नाम है अशोक कुमार जिनका जन्म आज मेरठ में मेजर ध्यानचंद के घर हुआ आपकी माताजी का नाम जानकी देवी है।
आपकी प्रारंभिक शिक्षा मेरठ और झांसी में हुई और यही अपने चाचा रूप सिंह से हॉकी की ए बी सीडी सीखी फिर उच्च शिक्षा के लिए आप कोटा राजस्थान अपने बड़े भाई साहब बृजमोहन सिंह के पास आ गए क्योकि मेजर ध्यानचंद के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नही थी कि सभी बच्चो की शिक्षा के व्यय को वे उठा सकते और उस समय तक बडे भाई राजस्थान सरकार के खेल विभाग में सेवा में आ चुके थे ।
और इसलिये अशोक कुमार को पढ़ाने के उद्देश्य से वे उन्हें झांसी से कोटा ले आये और यही से उनका चयन राजस्थान विश्वविद्यालय से यूनिवर्सिटी के लिये हुआ जंहा उनके खेल कौशल से चयनकर्ताओं ने दांतों तले अंगुलियों को दबाने पर मजबूर कर दिया और उनका चयन संयुक्त विश्व विद्यालय के लिए हुआ इसी बीच उनके बडे भाई साहेब राजकुमार सिंह कलकत्ता में मोहन बागान क्लब से खेल रहे थे।
अशोक कुमार भी मोहन बागान क्लब से जुड गए यही वह दौर या समय रहा जब वास्तव में अशोक कुमार विश्व विजेता अशोक कुमार बनने के लिए तैयार हुआ गुरूबुक्स सिंह, इनांमुरहमा न जैसे महान ओलयम्पियंस ,के साथ खेलना और आल टाइम ग्रेटेस्ट ओलयम्पियंस केशव दत्त ,कालडियस के सानिध्य में आने से अशोक कुमार अपने आपको हॉकी के लिए निखारते हुये चले गये ।
1964 टोक्यो ओलिम्पिक की हॉकी की फाइनल मैच की कमेंट्री ने अशोक कुमार के भीतर olympion बनने का सपना जगाया और जिसको पूरा करने के लिए उनका चयन पहली बार 1970 के बैंकॉक एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम के लिये हुआ जहाँ उन्होंने देश के लिए रजत पदक हासिल किया।
1971 प्रथम विश्व कप बार्सिलोना स्पेन के लिये आपका चयन भारतीय हॉकी टीम के लिए हुआ आपने देश के लिये कांस्य पदक जीतकर विश्व कप प्रतियोगिता में भविष्य के अपने इरादों को जतला दिया । संयोग देखिये 1936 ऐतिहासिक स्वर्णीम बर्लिन ओलिम्पिक के जिसमे ध्यानचन्द और रूपसिंह की जोड़ी ने सारी दुनिया का मन अपने खेल कौसल मोह लिया था।
उसके ठीक 36 वर्ष बाद उसी देश मे आयोजित 1972 म्यूनिख ओलिम्पिक में भारतीय हॉकी टीम में आपका चयन हुआ और 1964 में olypmion बनने का वह सपना पूरा हुआ और न केवल सपना पूरा हुआ बल्कि जीवन मे सबसे गौरान्वित होने वाले पल के वे स्वयं गवाह बने जब दुनिया के महान हॉकी खिलाडी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के भाई और उनके चाचा जी रूपसिंह के नाम से म्युनिक शहर में सड़क का नाम रखा गया म्युनिक ओलिम्पिक खेलो में भारत ने हॉकी में कांस्य पदक जीता ।
सन1973 में दिव्तीय विश्व कप एम्स्टर्डम में भारतीय हॉकी टीम से खेलते हुये जो उत्कृष्ट हॉकी का प्रदर्शन अशोक कुमार ने अपने सभी साथी खिलाड़ियों के साथ किया दुनिया ने उस टीम का लोहा मान लिया दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से भारत फाइनल मैच ट्राय ब्रेकर में हॉलैंड से पराजित हो गया और उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
सन1974 तेहरान एशियाई खेलों में भारत की और से खेलते हुये रजत पदक जीता। सन 1975 मलेशिया की राजधानी कुवालामपुर में विश्व कप प्रतियोगिता का आयोजन हुआ यही वह विश्व कप है जिसमे अशोक कुमार ने फाइनल मैच में विजयी गोल दागकर भारत को विश्व विजेता बनने का गौरव दिलवाया और अशोक कुमार ने अपने भारत कुमार होने का फ़र्ज़ अदा करते हुये भारतीय तिरंगे को पूरी दुनिया मे विश्व विजेता बनाते हुये फहरा दिया।सन 1976 तेहरान एशियाई खेलों में आपने भारत के लिये रजत पदक हासिल किया।
1976 आप एक बार फिर मोंटेरियाल ओलिम्पिक भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने ।1978 में बैंकॉक एशियाई खेलों में भारत के लिए एक बार फिर रजत पदक जीता । अशोक कुमार ने अपनी खेल जिंदगी का पहला पदक भारत के लिये बैंकॉक एशियाई खेलों में ही जीता और अपने खेल जीवन का अंतिम रजत पदक भी बैंकॉक एशियाई खेलों में जीतकर भारत को दिया।
अर्थात पदको को जीतने का सिलसिला जहाँ से शुरू किया वही उसी धरती पर अंतिम पदक जीतने का भी गौरव हासिल किया। 1978 ब्यूनस आयर्स विश्व कप प्रतियोगिता में भारत की ओर से खेलने का अवसर मिला जंहा उनकी कलात्मक हॉकी से मंत्र मुग्ध होकर वहाँ के दर्शक पियोलिन पियोलिन कहकर संबोधित करते जिसका अर्थ है सबसे न्यारा और सबसे प्यारा और वास्तव में अशोक कुमार हम सभी देशवासियों के लिए सबसे न्यारे और सबसे प्यारे है।
जिन्होंने देश के लिये एक नही दो नही बल्कि विश्व कप , ओलिम्पिक, एशियाई खेलों के तीनो रंगों के स्वर्ण ,रजत ,कांस्य आठ पदक जीतकर हम भारतीयों को दिए भारत की इससे बड़ी और महान सेवा और क्या हो सकती है? और इस सबसे बढ़कर यह बात की अशोक कुमार को इन सब कामयाबियों का जरा भी गुमान और अभिमान नही है की वे विश्व विजेता ओलिम्पिक एशियाई खेलों के विजेता है।
हा उन्हें हमेशा इस बात का अभिमान अवश्य रहता है कि वे भारत के लिये खेले और भारत भूमि के पुत्र होने का अपना दायित्व निभा सके । साधारण जिंदगी जीने वाले ईमानदार अपनो से बेइंतहा स्नेह करने वाले दुःख दर्द में सबके हमदर्द अशोक कुमार को भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार से भी भारत सरकार ने सम्मानित किया।
और इस वर्ष उनके अभिभावक क्लब मौहन बागान क्लब ने लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया है जो उनके जीवन का बहुत ही सुनहरा पल है । हम सभी सौभाग्यशाली है कि हमे जीवन मे अशोक कुमार का सानिध्य मिल रहा हैं । जन्म दिन की अनेकानेक शुभकामनाएं और बधाई।