Only eight Olympian football players remain in the country

देश में बचे हैं मात्र आठ ओलंपियन फुटबाल खिलाड़ी

हेमचंद

फुटबॉल दुनिया का सबसे ज्यादा खेले जाने वाला खेल हैऔर दुनिया का सबसे बड़ा खेल शो, फुटबॉल का विश्व कप है। विश्व कप के फाइनल दौर मे जाने के लिए क्वालीफाई दौर के मैच तीन साल पहले ही आरंभ हो जाते हैं। जीतने और भाग लेने वाले 32 टीमों को लगभग 6000 करोड़ की नगद राशि दी जाती हैं।

जहां तक हमारे देश की स्थिति का सवाल है, इस खेल मे, 1962 से पहले हमारे लिए स्वर्ण युग था, हम 1951 और 1962 के एशियन खेलो मे विजेता थे तथा 1956 के ओलंपिक खेलो में चौथे स्थान पर थे। हमने एशिया के सभी शक्तिशाली देशों, जापान, कोरिया, ईरान आदि को हराया था। 1970 के एशियाई खेलो मे भी हमने उस समय के ओलंपिक पदक विजेता जापान को हरा कर रजत पदक हासिल किया था।

अंतिम बार हम 1982 के एशियाई खेलो मे क्वाटर फाईल मे पहुँचे थे। उसके बाद विदेशी कोच के आने के बाद हम आज एशियन खेलो मे भी क्वालीफाई करने मे असमर्थ हैं। ओलंपिक मे हम अंतिम बार 1960 में ही खेले थे। इसके बाद ओलंपिक मे खेलना एक सपना है। क्योकि आगे दूर दूर तक कोई संभावना नहीं है।

आज देश मे केवल 8 पूर्व ओलंपिक फुटबॉल खिलाडी ही जिंदा है, जिनमे 3 बंगाल, 2 आंध्र, तथा एक -एक केरल, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र से है। ये सभी 80 साल से अधिक आयु के हैं, और और अनेको बीमारियों के शिकार हैं और आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं। आज इन्हे सहारे, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक मदद की जरूरत हैं, इनमे से अधिकतर का बंगाल से ज्यादा संबंध रहा है, इस कारण चुनाव से पहले खेल मंत्री के साथ बंगाल के मुख्य मंत्री जी से भी अनुरोध किया गया था।

इस बार बंगाल के चुनाव मे खेलों के साथ फुटबॉल भी सुर्खियों मै थी। लेकिन वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए, इसकी संभावना नज़र नहीं आ रही हैं। कुछ खिलाडियों को एशियन खेलों के विजेता होने के कारण सरकार से पेंशन मिलती हैं, लेकिन उनकी शिकायत हैं की उन्हे साल मे तीन बार जिंदा रहने का सर्टिफिकेट देना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत कष्ट दायक हैं।

एक खिलाडी ने बताया की क्योकि उनका परिवार नहीं हैं, इसलिए वे बिल्कुल अकेले है, इस कोरोना काल मे अनेको बार खाना बनाने वाले भी नही आते, वो भली भाँति चलने मे असमर्थ है, खेल के नाम पर गैर खिलाडियों की मदद करने वाले क्या इन बचे पूर्व ओलंपिक खिलाडियों की कुछ मदद कर पाएंगे? क्योकि इनके बाद देश मे पूर्व फुटबॉल ओलंपिक खिलाडियों की गिनती शून्य हों जायेगी। आने वाले समय मै भारतीय फुटबॉल टीम की ओलंपिक में क्वालीफाई करने की संभावना दूर दूर तक भी नज़र नही आ रही हैं।

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