क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
“मेरे पास कोई जादू की छड़ी तो नहीं है” , बहानेबाज भारतीय खेल आकाओं के श्रीमुख से यह रटा रटाया बहाना अक्सर सुनने को मिलता है। इस बार अंबेडकर स्टेडियम में दिल्ली की फुटबाल के प्रमुख डीएसए अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन ने इस वाक्य को थोड़ा हटकर प्रयोग किया और दिल्ली के जाने माने वेटरन खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि वह दिल्ली की फुटबाल को पटरी पर लाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं लेकिन जो ढाँचा बिगड़ चुका है उसे सुधारने में समय लग सकता है पर उनके या किसी के भी पास जादुई छड़ी नहीं है। अवसर था डीएसए के जाने माने वरिष्ठ पदाधिकारी और पूर्व खिलाड़ी हेम चन्द द्वारा तैयार किया गया सॉकर कलेंड 2021, जोकि भारत के महान ओलम्पिक खिलाड़ियों पीके बनर्जी, पीटर थंगराजन और अजीजुद्दीन को समर्पित है।
हेमचंद दिल्ली वेटरन फुटबाल क्लब के सचिव भी हैं और पिछले 14 सालों से साकर डायरी एवम कलेंडर के माध्यम से दिल्ली और देश की फुटबाल को महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। साकर डायरी में सभी विश्व कप फुटबाल आयोजनों के रिज़ल्ट और अन्य जानकारियाँ आकर्षण का केंद्र रहे हैं।
स्तर में गिरावट:
इस अवसर पर दिल्ली की फुटबाल के श्रेष्ठ वेटरन खिलाड़ियों की उपस्थिति ने समा बाँध दिया। दिग्गज खिलाड़ियों में गोरखा ब्रिगेड और मफतलाल के नामी मिड फ़ील्डर रंजीत थापा, मोहम्मडन स्पोर्टिंग के सुरेंद्र कुमार और मंजूर अहमद, दिल्ली की फुटबाल के सितारा खिलाड़ियों में शुमार रहे सतीश रावत, राकेश कुमार पूरी, रॉबर्ट सैमुएल, प्यारे लाल, गोपी, गंगा, एन के अरोड़ा, साबिर अली, यामिन, वेटरन रेफ़री जे सिंह, शराफ़त और कई अन्य ने माना कि राजधानी की फुटबाल का स्तर गिरावट की हद तक पहुँच गया है। उन्हें लगता है कि ना सिर्फ़ दिल्ली बल्कि देश की फुटबाल में भी भारी गिरावट देखी गई है जिसके लिए कई कारण ज़िम्मेदार हैं।
कभी हाउसफुल रहता था:
मंजूर कहते हैं कि कभी अंबेडकर स्टेडियम स्थानीय लीग मुकाबलों में खचाखच भरा रहता था। दस पैसे की टिकट लेकर मैच देखने के जुनूनी आज लगभग गायब हो चुके हैं। आलम यह है कि चंद लोग भी खिलाड़ियों को प्रोमोट करने नहीं आते। रंजीत थापा की राय में दिल्ली की फुटबाल में अब वह पहले से कुशल खिलाड़ी दिखाई नहीं देते। कोचिंग का स्टैंडर्ड बहुत अच्छा नहीं होने के कारण ऐसा हो सकता है। जाने माने रेफ़री जे सिंह को लगता है कि फुटबाल खेलने, देखने वाले खेल के प्रति ईमानदार नहीं रहे। रेफ़रियों का सम्मान करने वाले खिलाड़ी भी कम हुए हैं। प्यारेलाल के अनुसार जब दिल्ली ने संतोष ट्राफ़ी जीती थी तब के और आज के खिलाड़ियों के व्यवहार में भारी बदलाव आया है।
आज के खिलाड़ी बड़ों का सम्मान करना भूल गए हैं। सुरेंद्र कुमार, सतीश रावत, जूलियस सीजर, साबिर अली, जियाउल, मगन सिंह पटवाल, अनादि बरुआ, शाकिर, डीके बोस, असलम, दीपक नाथ, जगदीश मल्होत्रा, गुलजार, मो. नईम, किशोरी लाल, शंकर लाल और इंडो पोलैंड फुटबाल प्रोमोटर अल्वी का मानना है कि समय समय पर वरिष्ठ खिलाड़ियों की सलाह ली जानी चाहिए। उन्होने हेमचंद के प्रयासों को सराहा और कहा कि इस तरह के मौके बार आर आने चाहिए ताकि सबकी राय लेकर खेल का स्तर सुधारा जा सके।
डूरंड कप का विकल्प:
अंत में डीएसए अध्यक्ष ने सभी पूर्व चैम्पियनों के सुझावों को सराहा और कहा कि वह अपने स्तर पर किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होने सभी पूर्व खिलाड़ियों को सुझाव और समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वह अकेले कुछ नहीं कर सकते। सभी को एक साथ जुड़ कर आगे बढ़ने की ज़रूरत है। उनका अगला प्रयास दिल्ली में डूरंड कप के स्तर का एक बड़ा आयोजन करने का है, जिसमें सभी क्लब अधिकारियों, खिलाड़ियों और वेटरन खिलाड़ियों की मदद माँगी गई है। शाजी के अनुसार, हेमचन्द और एन के भाटिया जैसे सीनियर्स उनके मार्ग दर्शक बने रहेंगे।
I am really glad to be a part of gathering of launching the Soccer Calender 2021 on 31st Jan 2021 at Dr Ambedkar Stadium.
I thank Mr Hem Chad, Senior Vice President of Delhi Soccer Association, who organised the successful function and invited many of football veterans for last three decades.
Regards: Merajuddin Qureshi.
Organiser: *RECHARGED VETERANS OF DELHI FOOTBALL*