क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
कोविड 19 के शिकार हुए आम भारतीय परिवारों की सहायता के लिए विदेशी क्रिकेट खिलाड़ियों के बाद अब भारतीय खिलाड़ी भी सामने आ रहे है। तारीफ की बात यह है कि विराट कोहली , महेंद्र सिंह धोनी और अन्य वरिष्ठ ख़िलाड़ियों के नक्शे कदम पर युवा और स्फूर्ति से लबालब ऋषभ पंत भी चल निकला है। कोरोना से जंग लड़ने के लिए उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर, बैड, किट आदि खरीदने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है।
यह सही है कि ऋषभ अब धनाढ्य खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं और गुरुद्वारे में रहने खाने और दोस्तों की मदद से अपना क्रिकेट सफर जारी रखने के उनके संघर्ष वाले दिन दूर हो गए हैं। लेकिन वह जितने ऊंचे उठे हैं एक सच्चे और अच्छे इंसान की तरह उतने ही विनम्र और दयावान भी बने हैं। वरना एक 23 साल के युवा से भला क्या उम्मीद की जा सकती है!
यह सही है कि ऋषभ छोटी उम्र में ही भारतीय टीम के स्थापित खिलाड़ी का सम्मान पा चुके हैं। अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से उन्होंने टीम में जगह पक्की कर ली है। लेकिन इस उत्तराखंडी खिलाड़ी का दूसरा रूप बेहद आदरणीय और मोहने वाला है। एक ट्वीट कर उन्होंने कहा,’ मैं हेमकुंट फाउंडेशन के जरिए कोरोना पीड़ितों की सहायता कर रहा हूँ।’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कितनी धनराशि खर्च कर रहे हैं पर पता चला है कि ऋषभ साल भर से कोरोना पीडितों के सहायतार्थ कार्य कर रहे हैं।
हाल ही में दिल्ली की क्रिकेट ने केके तिवारी के रूप में अपना एक कर्मठ और समर्पित सेवक खोया है। केके खेल पत्रकारों के लिए आक्सीजन का काम करते थे वह बीसीसीआई के मान्यता प्राप्त स्कोरर और जाने माने अंपायर थे। उत्तर भारत में कहीं भी कोई क्रिकेट टूर्नामेंट खेला जा रहा हो केके जैसे तैसे पहुंच जाते थे और पत्रकारों के लिए खबर उपलब्ध कराते।
दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजेए)के पिछले पुरस्कार वितरण समारोह के सफल आयोजन में केके की भूमिका सराहनीय रही थी। उनके प्रयास से ही ऋषभ पंत ने निमंत्रण स्वीकार किया था। अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते ऋषभ आये और उनकी उपस्थिति ने समारोह को चार चांद लगा दिए। पहलवान बजरंग पूनिया और भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल भी सम्मनितों में शामिल थे।
ऋषभ ने सादगी के साथ श्रेष्ठ खिलाड़ी का सम्मान ग्रहण किया। उन्होंने खुले मन से केके तिवारी की तारीफ की और कहा,’मैं केके सर की मेहनत से ही आप लोगों तक पहुंच पाया हूँ। वह मुश्किल के दिनों से मेरा साथ देते आए हैं ‘
तिवारी परिवार को ऋषभ से उम्मीद:
अपने प्रिय केके की मृत्यु के बाद से राजधानी के खेल पत्रकार बेहद दुखी हैं। उनके परिवार की मदद करना चाहते हैं क्योंकि परिवार का एकमात्र कमाऊ मुखिया जाता रहा है। उनके तीन बच्चों में से कोई भी नौकरी पर नहीं है। खेल पत्रकार केके और खेलों से जुड़े उनके जैसे समर्पितों की मदद करना चाहते हैं लेकिन ज्यादातर की माली हालत अच्छी नहीं है।
ऐसे में ऋषभ जैसे दरियादिलों से अपेक्षा की जा रही है। केके ने आजीवन अनेक उभरते क्रिकेटरों को अखबार की सुर्खियां में स्थान दिलाने में भूमिका निभाई, जिनमें कप्तान कोहली, ऋषभ पंत और दर्जनों अन्य भी शामिल हैं।
कोरोना का कहर कई अन्य चैंपियनों खिलाड़ियों पर भी टूटा है।कई चैंपियन उसकी चपेट में आए हैं जिनमे से कुछ अभागे अपने चाहने वालों को छोड़ चुके हैं। 1980 के मास्को ओलंपिक के स्वर्ण विजेता सितारा खिलाड़ी रहे एमके कौशिक और रविन्द्र पाल सिंह जैसे बड़े नाम वाले हॉकी खिलाड़ियों का जाना हॉकी के लिए बड़ा आघात है।
कौशिक न सिर्फ एक बेहतरीन खिलाड़ी थे अपितु एक कोच के रूप में भी उनकी भूमिका शानदार रही।भारतीय महिला टीम ने एकमात्र कामनवेल्थ स्वर्ण उनकी कोचिंग में जीता तो धनराज पिल्ले की टीम का एशियाड स्वर्ण भी उनके गुरुत्व गुणों से संभव हो पाया था। रविन्द्र पाल एक अनुशासित और शांत इंसान का जीवन जीने के बाद भगवान को प्यारे हुए।
कोरोना पल पल अपना चरित्र बदल रहा है। कल तक माना जा रहा था कि खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों पर इसका असर नहीं होगा लेकिन क्रिकेट को।अपना कर्म और धर्म मानने वाले के के तिवारी और प्रोमोद सूद कोरोना से लड़ते लड़ते हार गए। प्रोमोद सूद अपने पिता ओमनाथ सूद की याद में वर्षों से एक बड़ा क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित करते थे। सभी मृतकों के परिवार आर्थिक तंगी के शिकार हैं। उनकी मदद के लिए अधिकाधिक हाथ बढ़ेंगे तभी खिलाड़ी परिवार बच पाएंगे।