राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड
कुछ खेल प्रेमी और नीरज चोपड़ा के प्रशंसक अक्सर पूछते हैं कि नीरज का अगला मुकाम क्या है, कहाँ अभ्यास कर रहे हैं और 2024 के पेरिस ओलम्पिक के लिए खेल मंत्रालय और एथलेटिक फ़ेडरेशन ने उनकी तैयारी का खाका तैयार कर लिया है या नहीं? इस प्रकार के सवाल पूछने वालों की उत्सुकता ज़ाहिर है। उन्हें पता है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि का यह एथलीट लाजवाब है। वह ज़मीन से जुड़ा है और आसमान भेदने की योग्यता रखता है।
जिस किसी ने टोक्यो ओलम्पिक में नीरज का विजयी थ्रो देखा, उसे लगता है कि उसका भाला दो चार और दस मीटर ज्यदा दूरी तक मार कर सकता है, जिसके लिए उसे सतत अभ्यास करना है, देसी विदेशी कोचों से बहुत कुछ सीखना है। लेकिन पिछले डेढ़ महीने से उसे चाहने वाले घेरे हुए हैं। वह चाह कर भी अपने चाहने वालों को निराश नहीं कर सकता।
वह गाँव देहात का नौजवान है, किसी को ना करना और नाराज़ करना उसकी फ़ितरत में नहीं है। लेकिन अब उसे कुछ सख़्त और तेज कदम उठाने ही पड़ेंगे और माया जाल से बाहर निकल कर एक चैम्पियन और प्रबल दावेदार की हैसियत से एशियाड, कामनवेल्थ, वर्ल्ड कप और अंततः ओलम्पिक में उतरना होगा।
यह ना भूलें कि टोक्यो में नीरज से शायद ही किसी ने स्वर्ण पदक की उम्मीद की थी। हां, इतना ज़रूर कहा जा रहा था की लड़के में दम है और वह भारत के लिए एथलेटिक का खाता खोल सकता है। यह भी याद रखना चाहिए कि नीरज की जीत में उसके प्रतिद्वंदी थ्रोवरों का भी बड़ा हाथ रहा, जिन्होने अपने कमजोर प्रदर्शन से नीरज को कामयाब बनाया।
अपना श्रेष्ठ नहीं दे पाने के बावजूद भी भारतीय एथलीट यदि चैम्पियन बना तो इसलिए चूँकि उसके प्रबल चुनौतीबाजों ने पहले ही हथियार डाल दिए थे लेकिन ऐसा आगे भी होगा कहा नहीं जा सकता। कारण, पेशेवर प्रतिद्वंद्वी और खुद उनका अपना एक कोच उनकी राह में काँटे बिछा सकते हैं और किसी भी हद तक जा सकते हैं।
टोक्यो ओलम्पिक में ज़्यादातर खेलों में शीर्ष खिलाड़ी अपना श्रेष्ठ नहीं दे पाए। कोरोना के चलते अभ्यास नहीं कर पाना, आधी अधूरी तैयारी और कुछ को टोक्यो की आद्रता मार गई। संभवतया, पेरिस यूरोपियन खिलाड़ियों के लिए स्वर्ग रहेगा और टोक्यो के नाकाम पेरिस की आबो हवा में बेहतर कर पाएँगे।
हालांकि नीरज भी पेरिस के मौसम और माहौल से भली भाँति परिचित है फिरभी 87.58 मीटर या अपने व्यक्तिगत श्रेष्ठ 88.07मीटर से शायद ही स्वर्ण बरकरार रख पाए। पता चला है कि कुछ जर्मन और चैक थ्रोवर नीरज को घेरने के लिए तैयारी में जुट गए हैं।
यह भी सच है कि हार से बौखलाए कुछ अन्य भी नीरज को हैरान करने की योजना बना रहे होंगे।उन्हें रात दिन नीरज की कामयाबी सता रही होगी। हो सकता है कुछ एक ने तैयारी भी शुरू कर दी हो।
नीरज के साथ परेशानी यह है कि उस पर सभा समारोहों में भाग लेने, विज्ञापन करने और शायद बालीवुड का दबाव भी बन रहा हो, जिसके लिए वह ना नहीं कर सकता। फिरभी कोई ठोस कदम उठाना होगा। हां यदि वह एक पदक से संतुष्ट है तो बात अलग है। शायद ऐसा नहीं होगा। उम्र, देशवासियों का प्रोत्साहन और सरकारी तंत्र उसके साथ है तो उसे कोई हरा नहीं सकता।