ओलंपिक खेलों का महाकुम्भ है और इसे गंभीर खेलों के लिए जाना जाता है। ओलंपिक को जैसी ओवेन्स, कार्ल लुइस, माइकल फेल्प्स, यूसेन बोल्ट, नादिया कोमेंची जैसे महान खिलाड़ियों के लिए जाना जाता है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) खेलों की शान ओलंपिक को तमाशा बनाने की तैयारी कर रही है।
आईओसी ने ब्रेक डांस को ओलम्पिक में आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिया है। आईओसी ने पेरिस में 2024 में होने वाले ओलंपिक में युवा दर्शकों को लुभाने के लिए ब्रेक डांस को शामिल कर लिया है। ब्रेक डांस ओलंपिक में ब्रेकिंग के नाम से जाना जाएगा जैसा कि इसे पिछली सदी के आठवें दशक में अमेरिका में कहा जाता था। पेरिस आयोजकों ने दो साल पहले ब्यूनस आयर्स में यूथ गेम्स में सफल ट्रायल के बाद इसे शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। फिर बाद में आईओसी बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी है।
ब्रेक डांस या ब्रेकिंग की शुरूआत 1970 के दशक में अमेरिका में हुई थी, जो हिप होप कल्चर का हिस्सा था। समय के साथ-साथ ब्रेक डांसिंग अमेरिका से बाहर पूरी दुनिया में पहुंच गया। करीब 10 लाख से अधिक इसे खेल की तरह खेलते हैं। वर्ष 2019 के रेल बुल बीसी वन वर्ल्ड फाइनल मुंबई को 10 लाख से अधिक ने देखा था। इसे फेसबुक और यूट्यूब पर भी दिखाया गया था।
लेकिन ओलंपिक खेलों की जो गरिमा है उसमें ब्रेक डांस खेल के रूप में कहीं टिकता। वैसे ओलंपिक के मेजबान देश अपनी पसंद के खेलों को चुनते हैं और पेरिस ने ब्रेक डांस को चुनकर वही किया है। ओलंपिक में जब जिम्नास्टिक मौजूद है और उसमें लयबद्ध या कलात्मक जिम्नास्टिक भी शामिल है जिसमें जिम्नास्ट लगभग एरोबेटिक नृत्य के अंदाज में यह प्रदर्शन करते हैं और अब आईओसी ब्रेक डांस को ला रहा है जो लयबद्ध जिम्नास्टिक का ही एक अलग रूप है। यह मनोरंजन हो सकता है लेकिन ओलंपिक खेल नहीं।
आखिर आईओसी क्या सन्देश देना चाहता है। क्या ओलंपिक की लोकप्रियता कम हो रही है जो उसे ब्रेक डांस को ओलंपिक में शामिल करना पड़ रहा है। दुनिया में नृत्य के कई रूप हैं और भारत जैसे देश में शास्त्रीय नृत्य किसी कला से कम नहीं हैं जहां पैरों, हाथों और आंखों का पूरा इस्तेमाल होता है। यदि भारत भविष्य में कभी ओलंपिक का आयोजन करता है तो क्या आईओसी भारत के आग्रह पर किसी शस्त्रीय नृत्य को ओलंपिक में शामिल कर सकता है।
ओलंपिक गंभीर खेलों के लिए जाने जाते हैं और उसमें ब्रेक डांस को एक खेल बनाकर उसे शामिल करने के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। ओलंपिक में क्रिकेट को जगह नहीं मिली है, बिलियर्ड्स-स्नूकर को जगह नहीं मिली है, शतरंज को जगह नहीं मिली है लेकिन ब्रेक डांस को जगह दी जा रही है। ओलंपिक में एक समय यह भी था जब कुश्ती और हॉकी को खेलों से बाहर निकलने की बात की जा रही थी। खैर ये दोनों खेल कुछ परिवर्तन के साथ बच गए लेकिन ब्रेक डांस को जिस तरह ओलंपिक खेल बनाया जा रहा है वह आईओसी की सोच पर सवाल खड़े करता है।
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