राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड
भारतीय फुटबाल टीम कब विश्व कप में भाग लेगी, इस सवाल का जवाब शायद फुटबाल के बड़े ज्ञाताओं के पास भी नहीं है। वे भी जानते हैं कि भारत दुनिया के इस सबसे लोकप्रिय खेल में सबसे फिसड्डी देशों में शामिल है।
लेकिन इतना तय है कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो भारतीय महिलाऐं पुरुषों से पहले बाजी मार सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में अन्य खेलों की तरह महिलाओं ने फुटबाल को भी गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।
यह सही है कि वर्ल्ड कप क्वालीफायर एशियाई चैंम्पियनशिप में भारतीय महिला टीम ने देश को शर्मसार किया और अपनी मेजबानी में उपहास का पात्र बनी। लेकिन दोष महिला खिलाडियों का नहीं था।
सबसे बड़े गुनहगार थे एएफसी और एआईएफएफ, जिनकी बदइंतजामी और नाकामी के चलते आधे से ज्यादा खिलाडी कोरोना की चपेट में आईं और बेहद अफसोसजनक तरीके से महिला खिलाडियों को मात्र एक मैच के बाद टूर्नामेंट से विदा होना पड़ा।
बेहद कमजोर टीम:
यह सही है कि आयोजकों और टीम प्रबंधन के नाकारापन के चलते भारतीय महिला टीम को बाहर होना पड़ा लेकिन यह ही सच है कि हमारी टीम आगे बढ़ने लायक भी नहीं थी। ईरान के विरुद्ध खेले गए मैच में यह साफ़ हो गया था कि भारतीय खिलाडियों में दम खम और हुनर जैसी चीज नहींथी।
ईरान कि लड़कियों ने इस्लामिक पाबंदियों के बावजूद जोरदार तैयारी की और भारतीय खिलाडियों को कड़ी टक्कर दी। उन्होंने दिखाया कि यदि उन्हें भारतीय लड़कियों कि तरह साधन सुविधा और आज़ादी मिले तो बड़ी ताकत बन सकती हैं।
दिल्ली का स्तर कहीं बेहतर:
जिन फुटबाल प्रेमियों ने ईरान के विरुद्ध भारतीय लड़कियों के प्रदर्शन को देखा है उनमें से जिस किसी ने दिल्ली महिला प्रीमियर लीग के मुकाबले देखे उनके मुंह से अनायास ही निकला, ‘दिल्ली कि लड़कियों का प्रदर्शन भारतीय टीम से कहीं बेहतर है’। शायद ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय टीम में शामिल लड़कियों में से ज्यादातर का स्तर राष्ट्रीय टीम के लायक कदापि नहीं था।
उनके चयन पर उँगलियाँ उतनी स्वाभाविक हैं। जहां तक दिल्ली कि फ़ुटबाल की बात है तो महिला फुटबाल में दिल्ली ने अन्य प्रदेशों की तुलना में ऊंची छलांग लगाई है। 24 से अधिक क्लब टीमें लीग में भाग ले रही हैं और सभी टीमों का स्तर लगभग एक जैसा है।
चैम्पियन हंस क्लब, उपविजेता सिग्नेचर एफसी, होप्स, ग्रोइंग स्टार्स,रॉयल रेंजर्स, यीव्स , गढ़वाल और कई अन्य टीमों ने खासा प्रभावित किया। फाइनल में हंस की खिताबी जीत शानदार रही। विजेता क्लब को अब महिला आई लीग में खेलने का अवसर मिलना तय है।