World Test Championship

गेंदबाजों नहीं भारतीय बल्लेबाजों को दिखाना होगा दम

साउथम्पटन। कहा जाता है कि किसी भी टेस्ट मैच में जीत के लिये 20 विकेट लेने जरूरी होते हैं, लेकिन सिर्फ इसी से मैच जीता जाए यह भी संभव नहीं है। जीत के लिये बल्लेबाजों को रन भी बनाने होंगे और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में फाइनल में यही हुआ जहां भारत को बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण आठ विकेट से हार का सामना करना पड़ा।

भारतीय बल्लेबाज पहली पारी में केवल 217 रन बना पाये जिसके जवाब में न्यूजीलैंड ने 249 रन बनाकर 32 रन की बढ़त हासिल की। बारिश से प्रभावित इस मैच में भारतीय टीम दूसरी पारी में 170 रन ही बना पायी और न्यूजीलैंड ने 139 रन का लक्ष्य अपने दो अनुभवी बल्लेबाजों कप्तान केन विलियमसन (अविजित 52) और रोस टेलर (अविजित 47) की दमदार पारियों से आसानी से हासिल कर दिया।

ऐसा नहीं था कि भारतीय गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी नहीं की। मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा ने दबाव बनाया। जसप्रीत बुमराह जरूर प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे लेकिन स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा ने भी अपनी भूमिका निभायी। लेकिन जब कम स्कोर का बचाव करना हो तो तब गेंदबाज भी कुछ नहीं कर सकते और साउथम्पटन में यही हाल भारतीय गेंदबाजों का था।

भारत को अब इंग्लैंड से पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है और यदि उसे इसमें जीत दर्ज करनी है तो बल्लेबाजों को अच्छा प्रदर्शन करना होगा। भारत के चोटी के बल्लेबाजों का प्रदर्शन पिछले कुछ समय से अच्छा नहीं रहा। यह अलग बात है कि सामूहिक योगदान से उन पर उंगलियां नहीं उठी।

कप्तान विराट कोहली की ही बात करें तो उन्होंने नवंबर 2019 से टेस्ट मैचों में कोई शतक नहीं लगाया है। मतलब वह पिछली 14 पारियों से शतक नहीं जमा पाये हैं। स्वाभाविक है कि इसका नुकसान टीम को हुआ। इस बीच उनका औसत 43 रन प्रति पारी के आसपास रहा जबकि उनका ओवरआल औसत 52 रन प्रति पारी के करीब है।

भारतीय टीम में चेतेश्वर पुजारा को श्रीमान भरोसेमंद कहा जाता है लेकिन उनकी बल्लेबाजी देखकर लगता है कि जैसे उन्होंने रन नहीं बनाने की सौगंध खा रखी है। पुजारा पिछली 30 पारियों से शतक नहीं लगा पाये हैं। उनका औसत इन पारियों में 28 के करीब रहा। इससे उनका ओवरऑल औसत भी गिरकर 46 पर पहुंच गया है। पुजारा यदि टुकटुक मैन बने रहते हैं तो भारतीय टीम प्रबंधन को उनके स्थान पर विचार करना होगा। पुजारा को स्ट्राइक रोटेट करनी सीखनी होगी। इससे उन पर भी दबाव कम होगा और टीम पर भी दबाव नहीं बनेगा।

सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने नयी गेंद को अच्छी तरह से झेला है लेकिन ये दोनों लंबी पारियां नहीं खेल पा रहे हैं जो चिंता का विषय है। आप ओपनर का काम गेंद की चमक उतारने तक सीमित नहीं कर सकते हैं। रोहित और गिल को अपनी भूमिका व्यापक दृष्टिकोण में देखनी चाहिए। यही आलम अजिंक्य रहाणे का है जिनके बल्ले से बड़ी पारी का इंतजार है। ऋषभ पंत ने फिलहाल अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभायी है।

लेकिन यदि आपके शीर्ष पांच बल्लेबाज बड़ी पारी खेलने के लिये जूझ रहे हों तो फिर गेंदबाज आपको जीत नहीं दिला सकते हैं। भले ही आपके पास विश्वस्तरीय तेज गेंदबाजी आक्रमण ही क्यों न हो।

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