भारतीय टेनिस: सानिया मिर्जा के बाद कौन?

कोई भी भारतीय महिला खिलाड़ी ना तो सानिया से पहले चमकी थी और ना ही उसके बाद नजर आती है
भारत की श्रेष्ठ महिला खिलाड़ी ने अब शायद अंतर्राष्ट्रीय टेनिस को अलविदा कहने का मन बना लिया है
उसने अपने लम्बे टेनिस करियर में छह ग्रैंड स्लैम डबल्स खिताब जीते, ऐसा करने वाली वह एकमात्र भारतीय महिला है
राजेंद्र सजवान
भारतीय टेनिस को अपना आधा जीवन देने वाली और भारत की श्रेष्ठ महिला खिलाड़ी ने अब शायद अंतर्राष्ट्रीय टेनिस को अलविदा कहने का मन बना लिया है। 18 साल पहले जब एक 18 वर्षीय लड़की ने सोई हुई भारतीय महिला टेनिस को जगाया था तो शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि वह भारतीय महिला टेनिस में सबसे ऊंचा मुकाम हासिल कर पाएगी लेकिन उसने काफी कुछ कर दिखाया और सिंगल्स में न सही डबल्स ग्रैंड स्लैम आयोजनों में खूब नाम भी कमाया।
ऑस्ट्रेलियन ओपन में खेलकर सानिया मिर्जा टेनिस को अलविदा कहना चाहती है। बेशक उसे संन्यास ले लेना चाहिए क्योंकि अब हासिल करने के लिए उसके पास ज्यादा वक्त भी नहीं बचा है। लेकिन उसने जो कुछ पाया है उसके बारे में आज भी कोई भारतीय लड़की नहीं सोच पा रही क्योंकि भारत में टेनिस को आज तक गंभीरता से नहीं लिया गया। सानिया उस समय कोर्ट पर उतरी जब भारतीय टेनिस में महिला खिलाड़ियों के नाम कुछ खास उपलब्धियां नहीं थीं और पुरुष टेनिस भी बस घिसट-घिसट कर चल रही थी।
जहां तक उसकी उपलब्धियों की बात है तो उसने अपने लम्बे करियर में छह ग्रैंड स्लैम डबल्स खिताब जीते, ऐसा करने वाली वह एकमात्र भारतीय महिला है। यह करिश्मा उसने महेश भूपति और लिएंडर पेस जैसे दिग्गजों के साथ जोड़ी बनाकर हासिल किया। उसने ओलम्पिक और विश्व स्तरीय आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और एशियाड और ओलम्पिक में सराहनीय प्रदर्शन के लिए जानी गई, जिसके एवज में उसे पद्मश्री, अर्जुन अवार्ड और राजीव गांधी खेल रत्न दिया गया।
अपने टेनिस करियर में सानिया को भले ही कई बार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा लेकिन उसने शॉर्ट स्कर्ट और बोल्ड संदेशों वाली टी-शर्ट पर कमेंट करने वालों की परवाह नहीं की। उसने महिला रैंकिंग में 27वें से लेकर सौवें स्थान तक दुनिया की शीर्ष महिला खिलाड़ियों में उपस्थिति दर्ज की, जो कि किसी भारतीय महिला के लिए गर्व की बात है। डबल्स में 43 डब्लूटीए खिताब और नंबर एक पोजीशन उसके शानदार प्रदर्शन के गवाह हैं।
लेकिन सानिया के बाद कौन? यह सवाल जस का तस खड़ा रहेगा। ठीक वैसे ही जैसे राम नाथन कृष्णन, विजय अमृतराज, रमेश कृष्णन और लिएंडर पेस के बाद इस तरह के सवाल पूछे जाते रहे हैं। टेनिस प्रेमी यह सवाल भी बार-बार पूछते हैं कि सानिया के बाद कोई महिला खिलाड़ी उभर कर क्यों नहीं आई और उसका उत्तराधिकारी कौन होगा? अब इन सवालों के जवाब तो वही दे सकते हैं जो कि पिछले पांच दशकों से भारतीय टेनिस के चौधरी बने बैठे हैं, जिन्होंने टेनिस को अपने परिवार की जागीर बना रखा है और जिनके लिए टेनिस एक परिवार और उनके जी हुजरों का खेल भर बन कर रह गया है।
बेशक कृष्णन, अमृतराज, लिएंडर और सानिया सहित तमाम खिलाड़ी अपने परिवार और अपने हुनर के दम पर नाम सम्मान कमा पाए लेकिन उनकी उपलब्धियों की आड़ में कमाई करने वाली अखिल भारतीय टेनिस एसोसिएशन अपनी पीठ क्यों थपथपाती है?