June 16, 2025

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खिलाड़ी ‘डब्बा संस्कृति’ से दूर रहें: खेल मंत्री

कहा, लगातार बढ़ते डोपिंग मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने नेशनल एन्टी डोपिंग बिल पास किया है

उन्होंने कहा, जो खिलाड़ी जानबूझ कर या अनजाने में डोप का शिकार होता है उसका जीवन तो खराब होता ही है, उसके मां- बाप के सपने भी टूट जाते हैं।

देश के कुछ खिलाड़ियों के डोप में फंसने को लेकर खेल मंत्री खासे आक्रोशित नजर आए

राजेंद्र सजवान

भारत के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने देश के उभरते खिलाड़ियों और युवाओं को डब्बा संस्कृति से बचने का आह्वान किया। आज यहां कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित एक सेमिनार में उन्होंने उभरते खिलाड़ियों और खेल हस्तियों को सम्बोधित करते हुए जिम कल्चर को बर्बाद करने वालों से बचने की सलाह दी और कहा कि जो खिलाड़ी जानबूझ कर या अनजाने में डोप का शिकार होता है उसका जीवन तो खराब होता ही है, उसके मां- बाप के सपने भी टूट जाते हैं। देश के कुछ खिलाड़ियों के डोप में फंसने को लेकर खेल मंत्री खासे आक्रोशित नजर आए।

   खेल मंत्री के अनुसार, सरकार खिलाड़ियों  को हर प्रकार की सुविधाएं दे रही है। उन्हें अच्छी ट्रेनिंग के लिए विदेश भेज रही है, जिस पर करोड़ों खर्च आता है। ऐसे में खिलाड़ी भटक जाता है तो उसके परिवार और देश की  मेहनत बेकार हो जाती है। उसका खेल करियर भी खत्म हो सकता है। उनके अनुसार, लगातार बढ़ते डोपिंग मामलों को देखते हुए  सरकार ने नेशनल एन्टी डोपिंग बिल पास कर दिया है और साई की प्रयोगशाला भी बेहतर काम कर रही है।

टोक्यो ओलंम्पिक में नीरज चोपड़ा के गोल्ड सहित सात पदक जीतने को उन्होंने आपनी सरकार की उपलब्धि के साथ जोड़ा और कहा कि भारत 2036 के ओलंम्पिक खेलों की मेजबानी का दावा कर सकता है। उनके अनुसार, सरकार देश को ओलंम्पिक पदक तालिका में टॉप पर देखना चाहती है जिसके लिए बड़े आयोजन करना श्रेयकर रहेगा।

   उन्होंने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप हमेशा शिखर पर नहीं रह सकते। कभी कभार हार का सामना भी करना पड़ता है। तब शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए  रखने की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए खेल मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जा सकती है और हम कर रहे हैं।

   इस अवसर पर आयोजित एक पैनल डिस्कशन में द्रोणाचार्य डॉक्टर एके बंसल, अर्जुन अवार्ड से सम्मानित मुक्केबाज राजकुमार सांगवान, कबड्डी द्रोणाचार्य सुनील डबास, डॉक्टर उप्पल, डॉक्टर शैलेश चौधरी ने भाग लिया और सभी ने एक राय से माना कि जिन एजेंसियों को देश में खेलों के विकास का काम सौंपा गया है उन्हें ईमानदार होना चाहिए, जिनमें साई और अन्य जिम्मेदार संस्थान भी शामिल हैं। सभी वक्ताओं ने खेल संघों में व्याप्त अनियमितताओं को फसाद की जड़ बताया और कहा कि इस ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। राज कुमार सांगवान ने खिलाड़ियों के संगठित होने पर जोर दिया और कहा कि खिलाड़ियों की एकजुटता से सरकार और खेल मंत्रालय का काम आसान हो जाता है।

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