अशोक ध्यानचंद बोले, भारतीय महिला हॉकी को अतिआत्मविश्वास और सीनियर खिलाड़ियों की अनदेखी ले डूबी

  • वर्ल्ड कप विजेता और हॉकी ओलम्पियन अशोक ध्यानचंद ने कहा, भारतीय हॉकी महिला ने टोक्यो ओलम्पिक में चौथा स्थान हासिल करके जो भी कुछ हासिल किया था, वो उसके खराब प्रदर्शन के कारण बेकार चला गया
  • उन्होंने कहा, पूर्व कप्तान रानी रामपाल को साइडलाइन किया जाना टीम की दुर्गति का एक महत्वपूर्ण कारण रहा
  • बकौल अशोक ध्यानचंद, भारतीय महिला टीम की कोच जेनेक शॉपमैन के आरोप बहुत गंभीर किस्म के हैं और इन पर हॉकी इंडिया को गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए

अजय नैथानी

भारतीय महिला हॉकी टीम की हालिया दुर्दशा की वजह या तो उसका अति आत्मविश्वास रहा या फिर वरिष्ठ खिलाड़ियों की अनदेखी करना रहा है। ऐसा मानना है कि वर्ल्ड कप विजेता और हॉकी ओलम्पियन अशोक ध्यानचंद का। हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे को लगता है कि हॉलैंड की कोच जेनेक शॉपमैन के हॉकी इंडिया पर लगाए गए आरोप गंभीर है।

   रांची में ओलम्पिक क्वालीफायर में अमेरिका और जापान से पिटने वाली भारतीय लड़कियों को अपने मैदान और दर्शकों के सामने सिर झुकाकर मैदान छोड़ना पड़ा था, क्योंकि वो पेरिस का टिकट कटाने से चूक गए। महिला टीम ने भुवनेश्वर में एफआईएच प्रो-लीग में भी खराब प्रदर्शन का सिलसिला बरकरार रखते हुए फिर से हॉकी प्रेमियों का दिल तोड़ दिया। वो क्रमश: नीदरलैंड, चीन और ऑस्ट्रेलिया से पिट गई, जो भारतीय महिला हॉकी रसातल में गिरने की कहानी बयां करता है। इस बारे में पूछने पर पूर्व भारतीय हॉकी स्टार ने कहा, “भारतीय हॉकी महिला ने टोक्यो ओलम्पिक में चौथा स्थान हासिल करके जो भी कुछ हासिल किया था, वो उसके खराब प्रदर्शन के कारण बेकार चला गया। ओलम्पिक क्वालीफायर के दौरान अमेरिका के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में बढ़त लेने के बाद हमारी टीम हारी, जो बताता है कि वो किस कदर मानसिक तौर पर कमजोर है।”

   अशोक ध्यानचंद का मानना है, “भारतीय महिला टीम की विदेशी कोच जेनेक शॉपमैन के साथ रानी रामपाल का क्या मतभेद हुआ, उसका तो मुझे पता नहीं लेकिन कप्तान को इस तरह साइड-लाइन किया जाना टीम के लिए नुकसानदायक रहा।” उन्होंने कहा, “अगर इस टीम के साथ रानी रामपाल का अनुभव होता तो कहानी कुछ और होती। रानी रामपाल चाहे कुछ भी नहीं करती लेकिन उनकी उपस्थिति मात्र ही टीम का हौसला काफी ज्यादा बढ़ा देती। इसके अलावा वह जैसा भी प्रदर्शन करती, उससे टीम का फायदा मिलता।” ज्ञात हो कि रानी टोक्यो ओलम्पिक में चौथे स्थान पर रही भारतीय टीम की कप्तान थीं और उसके बाद चोट के कारण टीम से बाहर थी। लेकिन भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ नई विदेशी कोच जेनेक शॉपमैन के ढाई साल के कार्यकाल में रानी को मैदान पर ज्यादा अवसर नहीं मिला।  

  भारत से जाते-जाते पूर्व डच हॉकी स्टार जेनेक शॉपमैन ने भारत में महिलाओं के काम करने को बेहद मुश्किल बताया। पहली भारतीय महिला कोच उनका आरोप था कि वह अपने कार्यकाल के दौरान बहुत अकेला महसूस कर रही थीं और हॉकी इंडिया ने उन्हें वैल्यू और सम्मान नहीं दिया। उन्होंने पुरुष टीम की तुलना में महिला टीम के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया। इस बारे में पूछने पर अशोक ध्यानचंद ने कहा, “यह आरोप बहुत गंभीर किस्म के हैं। इन पर हॉकी इंडिया को गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए।”

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