June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

आई ए एस के बहाने स्टेडियमों का हाल-ए-दिल….

राजेंद्र सजवान

त्यागराज नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में आईएएस अधिकारी द्वारा डॉगी को सैर कराने का मामला इसलिए निंदनीय है क्योंकि स्टेडियम में विभिन्न खेलों से जुड़े खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। यदि यह आरोप सही है कि अधिकारी महोदय और उनके डॉगी के सैर करने के चलते खेल गतिविधियां थम जाती थीं तो कुसूर व्यवस्था और रुतबे का है। लेकिन जब देश के अधिकांश स्टेडियम खिलाड़ियों की पहुंच से बाहर हो जाएं तो क्या कहिएगा?

   फिलहाल देश की राजधानी के स्टेडियमों की खबर लेते हैं, जिनका निर्माण 1951 और 1982 के एशियाई खेलों और 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन के लिए किया गया था। सबसे पुराने ध्यानचंद नेशनल  स्टेडियम का निर्माण मूलतः हॉकी और एथलेटिक के लिए किया गया था। पहले एशियाई खेलों का आयोजन भी यहीं पर हुआ था। 1982 के एशियाई खेलों के लिए नई टर्फ बिछाई गई लेकिन यह स्टेडियम खिलाड़ियों  और दर्शकों को कभी भी रास नहीं आया। सही  मायने में नई दिल्ली नगर पालिका द्वारा निर्मित शिवाजी स्टेडियम देश की हॉकी का गढ़ रहा, जहां नेहरू और शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट फले-फूले। कॉमनवेल्थ खेलों के कुछ समय बाद इन स्टेडियमों से हॉकी जैसे गायब हो गई। हॉकी इंडिया की दादागिरी के चलते तमाम राष्ट्रीय और घरेलू आयोजन ठप्प पड़ गए। आयोजक दर-दर भटक रहे हैं।

   नेहरू स्टेडियम पर करोड़ों खर्च किया गया। लेकिन यह स्टेडियम भी आम खिलाड़ी की पकड़ से बहुत दूर है। “खेलेगा इंडिया- खिलेगा इंडिया”, “फिट इंडिया” जैसे नारे देने वाले हमारे नेताओं और अधिकारियों को पता है कि नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गांधी स्टेडियम, श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम आदि का खेलों के लिए कौन और कितना उपयोग कर रहा है। आवारा कुत्ते इन स्टेडियमों में भी घूमते हैं जबकि खिलाड़ियों का प्रवेश बमुश्किल ही हो पाता है। अंबेडकर स्टेडियम तो कुत्तों का ठिकाना रहा है।

   यह ओलंम्पिक खेलों का दुर्भाग्य है कि भारत के हर राज्य, जिले, शहर और कस्बे में खिलाड़ियों के खेलने के मैदान निरन्तर घट रहे हैं। दूसरी तरफ देश के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट ने तमाम मैदान और स्टेडियम हथिया लिए हैं। देश भर के स्टेडियमों और स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में क्रिकेट सीखने के लिए मैदान और सुविधाएँ उपलब्ध हैं लेकिन बाकी खेलों की हालत भिखारियों जैसी है। हॉकी फुटबॉल, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, कबड्डी, टेनिस आदि खेलों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। क्रिकेट इसलिए फल-फूल रहा है क्योंकि लगभग सभी विभागों के बड़े अधिकारी क्रिकेट के दीवाने हैं।

   डीडीए, नगरपालिका, दिल्ली सरकार और  केंद्र सरकार के खेल परिसर और मैदान क्रिकेटरों के लिए हर वक्त उपलब्ध हैं। लेकिन बाकी खेलो को दूरी पर रखा जाता है। त्यागराज स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स इसलिए सुर्खियों में आ गया क्योंकि मामला उच्च अधिकारी से जुड़ा है और शायद कुछ हद तक दलगत  राजनीति से भी प्रेरित है। लेकिन बाकी स्टेडियमों का हाल कैसे पता चलेगा? कई  स्टेडियमों में वर्षों से खेल गतिविधियां ठप्प हैं तो बाकी रख-रखाव के खर्चों तले दबे हैं। कुछ एक ऐसे हैं जहां सरकारी कार्यालय (मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में गृह मंत्रालय का दफ्तर) खोल दिए गए हैं और खिलाड़ियों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है।

   आईएएस का तबादला करने वाले जरा यह भी बताएं कि भारतीय खेल प्राधिकरण और राज्य सरकारों की देख-रेख में चलने वाले जीर्ण-शीर्ण स्टेडियमों की बदहाली का जिम्मेदार कौन है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *