जर्मन खेल “इंडियाका” ने दी जोरदार दस्तक

क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान

पिछले कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) ने कुछ नए और लोकप्रिय खेलों को ओलम्पिक का हिस्सा बनाने का फैसला किया है। उनके स्थान पर बोझिल खेलों को बाहर भी किया जा रहा है। यह भी पता चला है की शीघ्र ही “इंडियाका” नाम का खेल ओलम्पिक में स्थान पा सकता है। नाम भले ही अपने देश से जुड़ा सा लगता है, लेकिन यह इंडिया का खेल नहीं है। हाँ, इतना जरूर है कि एक भारतीय इस खेल को अपने  में चर्चित खेलों में शामिल करने में जुट गया है।

 महिला वर्ग में राष्ट्रीय चैम्पियन बनीं महाराष्ट्र की टीम

   इंडियाका का जन्मदाता जर्मनी है जो कि जर्मनी में तेजी से लोकप्रिय होता खेल बन गया है। आमतौर पर भारत में विदेशी खेलों का प्रचार प्रसार करने वाले और खेल की  आड़ में लूट मचाने वाले मार्शल आर्ट्स खेलों पर फ़िदा रहे हैं, जिन्होंने अपने निजी स्वार्थों के चलते भारत को मार्शल आर्ट्स खेलों का अखाड़ा बनाकर रख दिया है। लेकिन इंडियाका को करीब से देखने परखने वाले कहते हैं कि यह खेल भारत में जड़ें जमाने आया है और वही इस खेल में टिक सकते हैं जो कि शारीरिक और मानसिक तौर पर मज़बूत हैं और जिसने पहले भी कोई खेल खेला हो।

  इंडियाका को वॉलीबाल और बैडमिंटन का मिला-जुला खेल कहा जा सकता है, जो कि अपेक्षाकृत छोटे कोर्ट पर खेला जाता है। बॉल के स्थान पर फेदर बॉल (शटल) का प्रयोग किया जाता है, जिसे हाथ से खेला जाता है। जर्मन खेल को भारत में लोकप्रिय बनाने का बीड़ा मार्शल आर्ट्स खेलों में बड़ी पहचान रखने वाले दया चंद भोला और सीएमए इक्यूप्मेंट्स निर्माता संजीव कुमार को जाता है। भोला के अनुसार इंडियाका 19 विश्व चैम्पियनशिप और पांच विश्व कप का आयोजन कर चुका है। यूरोप में यह खेल खासा पसंद किया जा रहा है। छठे विश्व कप का आयोजन लक्समबर्ग में होने जा रहा है, जिसमें भारतीय टीम की  भागीदारी संभावित है।

   भारतीय इंडियाका फेडरेशन के अध्यक्ष भोला के अनुसार 2020 में जबकि पूरी दुनिया कोरोना कि चपेट में थी और घर में कैद हो गई थी, तब उन्हें फुर्सत में इस जर्मन खेल के बारे में जानने समझने का अवसर मिला। 

   सीएमए इक्यूप्मेंट्स द्वारा स्तरीय फेदर बॉल तैयार की गई, जिसका उपयोग पहली राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में किया गया। पहली ही नज़र में उनके साथियों और मार्शल आर्ट्स खिलाड़ियों को यह खेल भा गया। तारीफ़ की  बात यह है कि कई मार्शल आर्ट्स खेलों से जुड़े खिलाड़ियों के आलावा वॉलीबॉल, कबड्डी, बैडमिन्टन, कुश्ती और अन्य खेलों के खिलाड़ी भी इस खेल में रुचि ले रहे हैं।

 

  27 से 29 मई तक गाज़ियाबाद के महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल में आयोजित पहली राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में आठ राज्यों की पुरुष एवं महिला टीमों की भागीदारी को बड़ी सफलता माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश को पुरुष और महाराष्ट्र को महिला वर्ग में पहला राष्ट्रीय विजेता का गौरव प्राप्त हुआ। भाग लेने वाली अन्य टीमों- दिल्ली, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार के खिलाड़ियों को नया खेल खूब भाया। अग्रसेन स्कूल की प्रिंसिपल और फेडरेशन की चेयर पर्सन डॉ. कल्पना महेश्वरी ने खिलाड़ियों को पुरस्कार वितरित किए। उत्साहित फेडरेशन अधिकारियों ने दिसंबर में प्रो-लीग के आयोजन की घोषणा भी कर डाली है।

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