अजय नैथानी
जिस तरह से गधे-घोड़े को एक ही डंडे से नहीं हांका जा सकता है, उसी तरह एक आदेश या नियम हर किसी पर लागू नहीं होता है और उसका हरेक से पालन करवाना जरूरी नहीं होता है। लेकिन पिछले महीने त्यागराज स्टेडियम विवाद के बाद आया दिल्ली सरकार का एक आदेश राष्ट्रीय राजधानी के खेल प्रशिक्षकों और उनसे जुड़े सेंटर्स की सिर दर्दी की वजह बन गया है।
त्यागराज स्टेडियम से जुड़े एक आईएएस दंपति को लेकर विवाद के बाद दिल्ली सरकार ने अपने तमाम स्टेडियम एवं स्पोर्ट्स सेंटर्स को रात दस बजे तक खुला रखने का आदेश दिया था। इस आदेश के पीछे की मंशा अच्छी नजर आती है, क्योंकि इससे अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्यीय स्तर के पेशेवर खिलाड़ियों को गर्मी में ट्रेनिंग करने से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन यह आदेश देश की राजधानी के उन तमाम छोटे-बड़े सेंटर्स के लिए परेशानी सबब बन गया है, खासतौर पर छोटे सेंटर्स जहां फ्लाड लाइट की व्यवस्था नहीं है। वहां कार्यरत कोच और अन्य स्टाफ भारी दुविधा में है, क्योंकि देर-रात तक बच्चों को सेंटर में नहीं रोका जा सकता है क्योंकि इन क्रीड़ा स्थलों में कृत्रिम प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है।
नाम न छापने की शर्त पर एक कोच ने इस आदेश से पैदा होने वाली तमाम समस्याओं को सामने रखा। उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों को देर रात तक रोकना आसान ना होगा, क्योंकि उनको सुबह स्कूल भी जाना होता है। इसके लिए अभिभावकों को तैयार करना एक टेढ़ी खीर साबित होगा, खासतौर पर लड़कियों को लेकर। लड़कियों को देर तक रोकना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि हर मां-बाप चाहता है कि उसकी बेटी दिन छिपने तक घर लौट आए और नए आदेश के अनुसार ऐसा संभव नहीं हो सकेगा। लिहाजा, अभिभावक एनओसी देने को तैयार नहीं हैं।
इस कोच ने आगे कहा कि सुबह औऱ देर रात तक दोनों समय को सेंटर चलने के कारण भी कई तकनीकी समस्या पैदा होंगी। जैसा कि आप जानते है कि कोच और अन्य स्टाफ को सुबह भी आना होता है। लिहाजा, देर रात तक रुकने के काऱण ऐसा सुबह जल्दी आकर सेंटर चलाना मुश्किल होगा।
दिल्ली सरकार का यह फैसला देश की राजधानी के सेंटर्स के लिए तुगलकी आदेश बन सकता है, अगर उसने परिस्थितियों को देखते हुए अपने आदेश में बदलाव नहीं किए। उक्त समस्याओं को देखते हुए दिल्ली सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए और समुचित बदलाव करके चीजें दुरुस्त करनी चाहिए।