नए और निर्विरोध अध्यक्ष के सामने पुरानी चुनौतियां

अनुज गुप्ता का दिल्ली सॉकर एसोसिएशन का अध्यक्ष बनना तय हो चुका है

उसके आगे सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को काबू में रखते हुए सभी को साथ लेकर चलने की होगी

डीएसए और फुटबॉल दिल्ली के बीच बेहतर तालमेल पहली प्राथमिकता होनी चाहिए

अन्य चुनौतियां में महिला फुटबॉल का कुशल संचालन भी शामिल है

राजेंद्र सजवान

अनुज गुप्ता का दिल्ली साकर एसोसिएशन (डीएसए) का अध्यक्ष बनना तय हो चुका है। तारीफ की बात यह नहीं कि वह सबसे कम उम्र के डीएसए अध्यक्ष बन रहे हैं बल्कि उनका निर्विरोध चुना जाना ज्यादा मायने रखता है। एक 42 वर्षीय नवयुवक के पक्ष में बड़े-बड़े धुरंधरों का आत्मसमर्पण काबिले गौर है। पांच साल पहले उसे अनुभवहीन और अलोकप्रिय बता कर दरकिनार कर दिया गया था। अब वही शख्स सबकी पसंद कैसे बन गया?

  अध्यक्ष पद ग्रहण करने से पहले अनुज के मजबूत पक्ष की बात की जाए तो उसके पास वह सबकुछ है जो आज की फुटबॉल में जरूरी है और यह सब अन्य के पास शायद नहीं है। मसलन उम्र उसके साथ है, परिपक्वता नजर आती है। सुदेवा फुटबॉल अकादमी, का शानदार रिकॉर्ड, टीम का आई-लीग में खेलना और अपने मैदान और अन्य सुविधाएं उसे अन्य सदस्यों और क्लब अधिकारियों से अलग करती हैं। अर्थात जरूरत पड़ने पर वह दिल्ली की फुटबॉल का बेहतर मार्गदर्शन कर सकता है।

 

   शाजी प्रभाकरण के प्रमोशन के बाद खाली हुआ डीएसए अध्यक्ष पद पिछले कुछ महीनों में खासी चर्चा में रहा। यदि यूं कहा जाए कि अध्यक्ष पद का खासा मजाक उड़ा तो गलत नहीं होगा। चंद महीनों में तीन अध्यक्ष आए,  गए। अनुज चौथे अध्यक्ष हैं।

   अनुज को तीन साल का समय मिला है। यही मौका है कुछ कर दिखाने का ताकि उसे अगले चुनाव में भी सहर्ष स्वीकार कर लिया जाए। उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि डीएसए का शीर्ष पद कांटो की सेज बन गया है। पिछले कुछ समय से गुटबाजी भी जोरों पर रही लेकिन अच्छी बात यह है कि अनुज की खिलाफत करने वालों ने या तो आत्मसमर्पण कर दिया या सही समय के इंतजार में मौन  साध गए हैं।

 

  उसे यह भी देखना है कि क्लबों की खरीद फरोख्त से जुटाया लाखों पानी की तरह बहा दिया गया है। कुछ बड़े स्पांसर जुटाने की जरूरत है, जिसके लिए समय रहते एक बेहतरीन टीम का गठन किया जा सकता है। क्योंकि दिल्ली की फुटबॉल साल भर चलने वाला महोत्सव बन गई है इसलिए डीएसए और फुटबॉल दिल्ली के बीच बेहतर तालमेल पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

  और भी बहुत सी चुनौतियां हैं, जिनमें महिला फुटबॉल का कुशल संचालन भी शामिल है। हैरानी वाली बात यह है कि महिला खिलाड़ियों और टीमों की संख्या बढ़ी है लेकिन डीएसए कार्यसमिति में महिला सदस्य खोजे नहीं मिल पातीं। अकृता कौर धूपिया  निर्विरोध टीम डीएसए में शामिल हुई हैं। उनका स्वागत है।

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