- शायद ही किसी भारतीय को उम्मीद रही होगी कि दस मैच लगातार जीतने वाली टीम इंडिया फाइनल में ठिठक जाएगी
- जब श्रेष्ठ देने की जरूरत थी तो हमारे खिलाड़ी नाकाम रहे और ऑस्ट्रेलिया ने छठी बार वर्ल्ड कप जीत कर मेजबान की हेकड़ी निकाल दी
- क्रिकेट विशेषज्ञों की राय में भारतीय खिलाड़ियों को उनका अत्याधिक आत्मविश्वास ले डूबा
- यह सही है कि गेंदबाजी और बल्लेबाजी में भारतीय शुरू से ही हावी रहे लेकिन असल मुकाबले में गेंद-बल्ले दोनों से नाकाम होने के चलते हारने का खामियाजा भरना पड़ा
- ऑस्ट्रेलिया ने हर क्षेत्र में भारत अदना साबित कर दिखाया और यह भी बता दिया कि जीत हमेशा सूझबूझ से खेलने वालों की होती है
राजेंद्र सजवान
“मार देंगे”, “तोड़ देंगे”, “फोड़ देंगे ”, जैसे नारों के दमपर उत्साहित भारतीय क्रिकेट टीम आईसीसी वर्ल्ड कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उतरी, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि शुरुआती मैच से बवंडर मचा रहे मेजबान को कंगारू यूं खामोश कर देंगे। मैच दर मैच रिकॉर्डों से खिलवाड़ करने वाले भारतीय क्रिकेटरों को जिस तरह निर्णायक फाइनल में खेलते देखा, उससे विश्वास नहीं हुआ कि भारतीय टीम अर्श से फर्श पर लुढ़क जाएगी।
दस मैच लगातार जीतने वाली टीम के लगभग सभी खिलाड़ी अपना श्रेष्ठ दे रहे थे। उन्हें रोकना लगभग असंभव लग रहा था। सभी प्रतिद्वंद्वी खौफ खाए बैठे थे। लीग मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को पीट चुके थे, लेकिन असल मुकाबले में कंगारुओं ने मेजबान को हैसियत का आईना दिखा दिया। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि जीत की हुंकार भर रही भारतीय टीम निर्णायक मुकाबले में हथियार डाल सकती है।
बेशक, मैच दर मैच भारतीय क्रिकेटरों ने नए कीर्तिमान गढ़े। हर क्रिकेट विशेषज्ञ, आंकड़ेबाज, आम क्रिकेट प्रेमी और हर भारतवासी अपनी टीम को जीता हुआ मान चुका था लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने सारे समीकरण गलत साबित कर दिए। आम भारतीय से पूछे तो कुछेक अपने खिलाड़ियों को कोसने लगे हैं। उन्हें लगता है कि जब श्रेष्ठ देने की जरूरत थी तो हमारे खिलाड़ी नाकाम रहे और ऑस्ट्रेलिया ने छठी बार वर्ल्ड कप जीत कर मेजबान की हेकड़ी निकाल दी।
क्रिकेट विशेषज्ञों की राय में भारतीय खिलाड़ियों को उनका अत्याधिक आत्मविश्वास ले डूबा। यह सही है कि गेंदबाजी और बल्लेबाजी में भारतीय शुरू से ही हावी रहे। लेकिन असल मुकाबले में दोनों विभागों में नाकामी के चलते हारने का खामियाजा भरना पड़ा। इस प्रकार “दस का दम” कंगारूओं सूझबूझ के आगे निकल गया। जानकारों की माने तो लगातार शानदार खेल दिखाने वाली टीम का अंतिम मुकाबले में पतन होने का सीधा मतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी असल पेशेवर हैं। उन्होंने अपना श्रेष्ठ अंतिम मैच के लिए बचा कर रखा था। वे ऐसा सालों से करते आ रहे हैं। यही कारण है कि उनका विजयी रिकॉर्ड भारत से बेहतर है।
भारतीय टीम के पिछले प्रदर्शन को देखते हुए हर कोई उसे सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ एकदिनी टीम कहने लगा था लेकिन अंतत: फैसला हो गया। ऑस्ट्रेलिया ने हर क्षेत्र में भारत अदना साबित कर दिखाया और यह भी बता दिया कि 2023 के वर्ल्ड कप में खेली भारतीय टीम श्रेष्ठतम कदापि नहीं है और जीत हमेशा सूझबूझ से खेलने वालों की होती है। ऑस्ट्रेलिया ने अपना श्रेष्ठ सर्वश्रेष्ठ दिन के लिए बचा कर रखा था और मेजबान अपना सर्वश्रेष्ठ पहले ही दे चुके थे। लिहाजा कंगारुओं ने मेजबान की दस जीतों को बेदम साबित कर दिखाया।