पहलवानों पर भारी पड़ा नई संसद का उद्घाटन दिवस

  • जब कभी देश की नई संसद का जिक्र आएगा, तो विश्व विजेता पहलवानों के साथ हुए दुर्व्यवहार को भी याद किया जाएगा
  • पहलवानों ने पहले ही साफतौर पर बता दिया था कि वे नई संसद के उदघाटन दिवस पर शांतिपूर्ण मार्च निकालने जा रहे हैं
  • पुलिस और प्रशासन ने शायद उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया और फिर जो कुछ हुआ सबके सामने है
  • महीने भर के धरना प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की एकमात्र मांग पर सरकार ने गौर नहीं किया और अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तारी करने की बजाय खुली छूट की आजादी दी तो माहौल बिगड़ना ही था

राजेंद्र सजवान

उस वक्त जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हवन और सर्वधर्म प्रार्थना के साथ देश की नई संसद का उद्घाटन कर रहे थे, इस भव्य समारोह से कुछ कदम दूर देश का नाम रोशन करने वाले पहलवान अपनी पुलिस और प्रशासन के हाथों खदेड़े जा रहे थे। इसलिए, क्योंकि उनका इरादा ‘रंग में भंग’ करने का था। हालांकि पहलवानों ने पहले ही अपने इरादे साफतौर पर बता दिए थे और साफ-साफ कहा था कि वे नई संसद के उदघाटन दिवस पर शांतिपूर्ण मार्च निकालने जा रहे हैं लेकिन पुलिस और प्रशासन ने शायद उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया और फिर जो कुछ हुआ सबके सामने है।

  जाहिर है कि जब कभी देश की नई संसद का जिक्र आएगा, तो विश्व विजेता पहलवानों के साथ हुए दुर्व्यवहार को भी याद किया जाएगा। पहलवानों के अनुसार वे जंतर-मंतर से संसद तक शांति पूर्ण मार्च के लिए बढ़ रहे थे कि पुलिस ने उन्हें जबरन खदेड़ना शुरू कर दिया। उनके साथ जोर-जबर्दस्ती की गई। पुलिस के अनुसार, पहलवान संसद भवन की तरफ बढ़ रहे थे और माहौल खराब कर रहे थे इसलिए उन्हें रोकना पड़ा लेकिन उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया।

 

  भारत के लिए ओलम्पिक पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विश्व विख्यात पहलवान विनेश और संगीता फोगाट के अनुसार एक अपराधी और बेटियों के सम्मान को तार-तार करने वाले अपने सांसद को सरकार ने नआ संसद के उदघाटन पर बड़ा तोहफा दिया है। जिस अपराधी को सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह खुला घूम रहा है और जिन पहलवानों ने देश का नाम रोशन किया उन पर उनकी अपनी पुलिस जुल्म ढा रही है।

   पहलवानों के साथ कुछ अनिष्ट होने जा रहा है, इस बारे में पहले ही आशंका व्यक्त की जा रही थी। दरअसल जब महीने भर के धरना प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने पहलवानों की एकमात्र मांग पर गौर नहीं किया और अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह की आजादी को बरकरार रखा तो माहौल बिगड़ना ही था। धरने पर बैठे पहलवान सिर्फ और सिर्फ बृजभूषण की गिरफ्तारी चाहते हैं।

 

   कहा यह भी जा रहा है कि पहलवानों की धरपकड़ से एक दिन पहले सरकार ने पहलवानों को समझाने बुझाने का प्रयास किया था और संसद भवन के उदघाटन दिवस पर विरोध प्रदर्शन नहीं करने का सुझाव भी दिया था, क्योंकि देश के मान-सम्मान का मामला था। कुछ पहलवान मान भी गए थे लेकिन एक गुट राजी नहीं हुआ और पहलवानों में घमासान हो गया। धरने पर बैठे पहलवानों के बीच फूट की खबर भी आ रही है लेकिन करीबी सूत्र बताते हैं कि जल्दी ही सभी पहलवान नई ऊर्जा और दल-बल के साथ बड़ा मोर्चा बांधने वाले हैं।

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