- दिल्ली टीम ने संतोष ट्रॉफी के क्लस्टर दौर में कोलकाता, ओडिसा, पंजाब जैसी दमदार टीमों की मौजूदगी में श्रेष्ठता दर्ज की जबकि अंडर-17 और अंडर-14 टीमों का प्रदर्शन भी लगातार सुधर रहा है
- दिल्ली की फुटबॉल में आए सुधार के पीछे कुछ सालों के योजनाबद्ध प्रयास और डीएसए और क्लबों के पदाधिकारियों की कड़ी मेहनत का बड़ा हाथ रहा है
- गढ़वाल एफसी के संस्थापक मगन सिंह पटवाल, पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी असलम, शक्ति क्लब के सर्वे-सर्वा हरगोपाल, पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी व जाने-माने रेफरी रिजवान-उल-हक, पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी, गढ़वाल हीरोज को सेवाएं देने वाले सुब्रह्मण्यम और यंग बॉयज क्लब के राजेश दता ने एकमत होकर दिल्ली की फुटबॉल में स्थानीय खिलाड़ियों की घटती संख्या चिंता जताई है
राजेंद्र सजवान
पिछले कुछ समय से दिल्ली की फुटबॉल कुछ बदली-बदली सी नजर आती है। कुछ समय पहले तक दिल्ली की टीमें राष्ट्रीय चैम्पियनशिप मुकाबलों से खाली हाथ और अपमान के साथ लौटती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है। हाल ही में दिल्ली टीम ने संतोष ट्रॉफी के क्लस्टर मुकाबले में कोलकाता, ओडिसा, पंजाब जैसी दमदार टीमों की मौजूदगी में श्रेष्ठता दर्ज की। अंडर-17 और अंडर-14 टीमों का प्रदर्शन भी लगातार सुधर रहा है।
सही मायने में दिल्ली की फुटबॉल रातों रात नहीं सुधरी है। इसके पीछे कुछ सालों के योजनाबद्ध प्रयास और डीएसए और क्लबों के पदाधिकारियों की कड़ी मेहनत का बड़ा हाथ रहा है। इस बारे में कुछ पूर्व खिलाड़ियों, कार्यसमिति के सदस्यों और क्लब संचालकों से बातचीत हुई तो अधिकांश ने देश की राजधानी में फुटबॉल के लगातार चलते रहने और मैदान के अंदर बाहर की सकारात्मक कोशिश को श्रेय दिया जा रहा है।
दिल्ली के टॉप क्लबों में शुमार गढ़वाल एफसी के संस्थापक मगन सिंह पटवाल मानते हैं कि दिल्ली की टीमें बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन स्थानीय खिलाड़ियों की घटती संख्या चिंता का विषय है। उनकी राय में स्कूल और अकादमी स्तर पर अच्छी प्रतिभाएं उभर कर नहीं आ रहीं। पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी और डीडीए को सेवाएं दे चुके असलम मानते हैं कि दिल्ली के अपने खिलाड़ी कम उभर कर आ रहे हैं। शायद स्कूल और अकादमियां गंभीर नहीं हैं या खिलाड़ियों की रुचि नहीं है फिर भी दिल्ली का रिजल्ट शानदार है।
शक्ति क्लब के सर्वे-सर्वा हरगोपाल लंबे समय से डीएसए से जुड़े हैं। उन्हें स्थानीय खिलाड़ियों की कमी खलती है। वह चाहते हैं कि हर क्लब में कम से कम आधे खिलाड़ी दिल्ली के अपने हों तो स्तर सुधरेगा। डीएसए के कोषाध्यक्ष लियाकत अली की राय में पूर्व अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण के प्रयासों से दिल्ली की फुटबॉल सालों बाद ट्रैक पर लौटी है और अब लगातार अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं। उन्हें लगता है नए अध्यक्ष अनुज गुप्ता भी लगातार प्रयास कर रहे हैं और स्पॉन्सर को जोड़ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली सरकार, भारत पेट्रोलियम, टाटा, एओएसएम, वेक्टर और एचसीएल जैसे बड़े नाम डीएसए के स्पॉन्सर हैं।
पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी, जाने-माने रेफरी और शीर्ष पदाधिकारी रिजवान-उल-हक की राय में दिल्ली के क्लब और टीमों के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं लेकिन ज्यादातर क्लब बाहरी खिलाड़ियों के भरोसे चल रहे हैं। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। क्लबों को अपने सेकंड लाइनअप में प्रतिभावान स्थानीय खिलाड़ियों को मौका देना चाहिए। पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी, गढ़वाल हीरोज और स्टेट बैंक को सेवाएं देने वाले सुब्रह्मण्यम और यंग बॉयज क्लब के राजेश दता भी स्थानीय खिलाड़ियों को अधिकाधिक अवसर देने के पक्षधर हैं।