- फेडरेशन के चुनावों में पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह समर्थित धड़े की जीत से साफ हो गया है कि आने वाले सालों में भारतीय कुश्ती की बागडोर पुराने अध्यक्ष के नए साथी-संबंधियों के हाथ में रहेगी
- ब्रज भूषण भले शीर्ष पद पर नहीं रहेंगे लेकिन यह भी हो सकता है की शायद वही डब्ल्यूएफआई को पर्दे के पीछे से संचालित करें
- कुश्ती फेडरेशन के चुनावों से एक अच्छी बात यह हुई है कि कुश्ती धीरे-धीरे पटरी पर आ जाएगी
- पिछले एक साल में भारतीय कुश्ती ने बहुत कुछ खोया है, जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी लेकिन देर से ही सही दुरुस्त हुआ है
- नेताजी पर यौन शौषण के आरोपों के बाद भारतीय कुश्ती में भारी उठा पटक देखने को मिली
- जाने-माने पहलवानों ने मोर्चा खोला, धरना-प्रदर्शन किया और पूर्व अध्यक्ष को कुश्ती से पूरी तरह बाहर का रास्ता दिखाने की मांग तक की लेकिन यह सब मुश्किल होता चला गया
- लेकिन शायद पहलवानों की एक नहीं सुनी गई, जिसके परिणाम स्वरूप साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास ले लिया है
राजेंद्र सजवान
“जिन्हें कुश्ती करनी है कुश्ती करेंगे और जिन्हें राजनीति करनी है राजनीति करें”, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने चुनाव जीतने के बाद सबसे पहला बयान कुछ इस तरह दिया। अर्थात नए अध्यक्ष के तेवर भी पुराने अध्यक्ष से मिलते-जुलते हैं। अब देखना यह होगा कि ब्रज भूषण के उत्तराधिकारी विवादों से घिरी भारतीय कुश्ती को किस प्रकार का नेतृत्व प्रदान करते हैं। हालांकि उनके समर्थक नारे लगा रहे थे, “संजय सिंह ब्रज भूषण की खड़ाऊ लेकर चले।”
कुश्ती फेडरेशन के चुनावों में पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह समर्थित धड़े की जीत से साफ हो गया है कि आने वाले सालों में भारतीय कुश्ती की बागडोर पुराने अध्यक्ष के नए साथी-संबंधियों के हाथ में रहेगी। ब्रज भूषण भले शीर्ष पद पर नहीं रहेंगे लेकिन यह भी हो सकता है की शायद वही डब्ल्यूएफआई को पर्दे के पीछे से संचालित करें।
कुश्ती फेडरेशन के चुनावों से एक अच्छी बात यह हुई है कि कुश्ती धीरे-धीरे पटरी पर आ जाएगी। पिछले एक साल में भारतीय कुश्ती ने बहुत कुछ खोया है, जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी लेकिन देर से ही सही दुरुस्त हुआ है। नेताजी पर यौन शौषण के आरोपों के बाद भारतीय कुश्ती में भारी उठा पटक देखने को मिली। जाने-माने पहलवानों ने उनके विरुद्ध मोर्चा खोला, धरना-प्रदर्शन किया और पूर्व अध्यक्ष को कुश्ती से पूरी तरह बाहर का रास्ता दिखाने की मांग तक की लेकिन यह सब मुश्किल होता चला गया।
देर से ही सही लेकिन विश्व कुश्ती की संचालन संस्था के दखल के बाद निर्धारित तिथि पर चुनाव हो गया है और नए अध्यक्ष संजय सिंह ने अपनी नई टीम के साथ पदभार संभाल लिया है। उम्मीद की जा रही है कि संजय और उनकी टीम भारतीय कुश्ती को सही दिशा देने और आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि फेडरेशन में अधिकांश चेहरे ब्रज भूषण के सगे हैं और कायदे-कानून भी नेताजी तय करेंगे।
उल्लेखनीय है कि ब्रज भूषण पर यौन शौषण के आरोप लगाने वालों में ओलम्पिक पदक विजेता साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट जैसे नामी पहलवान भी शामिल हैं। मामला कोर्ट में चल रहा है, जिसका फैसला आना बाकी है। हालांकि आरोप लगाने वाले पहलवानों ने ब्रज भूषण के करीबियों और सगे संबंधियों को फेडरेशन चुनाव से दूर रखने की मांग की थी। लेकिन शायद उनकी एक नहीं सुनी गई। नतीजन साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास ले लिया है। बजरंग, विनेश और विरोध करने वाले तमाम पहलवान अब कौन सा कदम उठाएंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन इन तय है कि ब्रज भूषण की खड़ाऊ कुश्ती फेडरेशन के सर माथे रहेगी।