दिल्ली सरकार ने ऐसे स्पोर्ट्स स्कूल की शुरुआत का फैसला किया है, जिसमें छठी से नौवीं क्लास तक के बच्चों की शिक्षा और खेल में संतुलन बैठाकर भविष्य के चैम्पियन तैयार किए जाएंगे
दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर कर्णम मल्लेश्वरी ने दिल्ली बेस्ड स्पोर्ट्स स्कूल और यूनिवर्सिटी पूरे देश के खिलाड़ियों के लिए है
भारत की पहली महिला ओलम्पिक पदक विजेता के अनुसार, निशुल्क स्कूल और यूनिवर्सिटी में खेल के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई के लिए भी पर्याप्त माहौल रहेगा
पेफी के राष्ट्रीय सचिव पीयूष जैन ने दिल्ली सरकार की खेल प्रोत्साहन योजना की सराहना की
संवाददाता
देश में ग्रासरूट स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के नारे वर्षों से लगाए जाते रहे हैं लेकिन फिलहाल कोई ठोस शुरुआत नहीं हुई थी। देर से ही सही दिल्ली सरकार ने भारत में खेलों को बढ़ावा देने की तजबीज खोज ली है। सरकार ने एक ऐसे स्पोर्ट्स स्कूल की शुरुआत का फैसला किया है, जिसमें छठी से नौवीं क्लास तक के बच्चों की शिक्षा और खेल में संतुलन बैठा कर भविष्य के चैम्पियन तैयार किए जाएंगे। गुरुवार को राजधानी दिल्ली के प्रेस क्लब में फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भारतीय खेल इतिहास की पहली महिला ओलम्पिक पदक विजेता और दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर कर्णम मल्लेश्वरी ने दिल्ली सरकार द्वारा खेलों को गंभीरता से लेने को सराहनीय प्रयास बताया और कहा कि दिल्ली बेस्ड स्पोर्ट्स स्कूल और यूनिवर्सिटी पूरे देश के खिलाड़ियों के लिए है। इतना जरूर है कि दिल्ली ने पहली बार इस दिशा में पहल की है।
मल्लेश्वरी के अनुसार, निशुल्क स्कूल और यूनिवर्सिटी में खेल के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई के लिए भी पर्याप्त माहौल रहेगा। देश के श्रेष्ठ शिक्षकों और खेल विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जाएंगी, जिसकी शुरुआत फिलहाल दस खेलों को लेकर की जा रही है। तीरंदाजी, एथलेटिक, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, निशानेबाजी, तैराकी, कुश्ती और भारोतोलन सहित दस खेलों को चिन्हित किया गया है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हॉकी और फुटबॉल जैसे लोकप्रिय खेलों को स्कूल स्तर पर इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि शुरुआत में टीम खेलों को शामिल किया गया तो बाकी खेलों के लिए जगह कम पड़ जाएगी। इस अवसर पर पेफी के राष्ट्रीय सचिव पीयूष जैन ने दिल्ली सरकार की खेल प्रोत्साहन योजना की सराहना की और कहा कि उनकी संस्था राष्ट्रीय खेल यूनिवर्सिटी को हरसंभव सहयोग करेगी।
छठी से नौवीं कक्षा के छात्र जिनकी उम्र 11 से 16 साल के बीच है स्पोर्ट्स स्कूल में प्रवेश ले सकते हैं। लेकिन उन्हें लंबी और कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। मल्लेश्वरी ने कहा कि यहां किसी प्रकार की रियायत या कोटे का सवाल ही पैदा नहीं होता। श्रेष्ठ का चयन किया जाएगा ताकि देश को ज्यादा से ज्यादा पदक विजेता मिलें। उम्र की धोखधड़ी के लिए भी कोई गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि प्रार्थियों को कड़े मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा।
मल्लेश्वरी मानती हैं कि आज खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं। पदक जीतने पर उन्हें वह सबकुछ मिल जाता है जिसके बारे में पुराने खिलाड़ी सोच भी नहीं सकते थे।