June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

सात पदकों से सातवें आसमान पर जा चढ़े! डर है औंधे मुंह गिर जाने का।

Climb to the seventh heaven with seven medals in Tokyo Olympics

क्लीन बोल्ड /राजेंद्र सजवान

चूंकि भारतीय खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंम्पिक में एक स्वर्ण सहित कुल सात पदक जीते हैं इसलिए भारत को सातवें आसमान पर बताया जा रहा है। वाकई, हमारे खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन पिछले दो खेलों में हमने जो टारगेट सेट किए थे, क्या हमारे खिलाड़ी उन तक पहुंच पाए हैं? हमारे खेल मंत्रियों , आईओए और खेल संघों ने जो सब्जबाग दिखाए थे उनको हासिल कर पाए? कहाँ हैं 10-12 पदक?

नीरज की देन:

भारतीय खेल आका, ओलंम्पिक संघ,खेल संघ आज जो इतराहत दिखा रहे हैं, भारत को सातवें आसमान पर चढ़ा रहे हैं, उन्हें धैर्य और धीरज से काम लेना चाहिए। यह न भूलें कि हमारा पिछला रिकार्ड बेहद खराब रहा है। कुछ साल पहले तक खाली हाथ लौटने की आदत पड़ गई थी। अब करोड़ों बहा कर कुछ एक पदक जीत रहे हैं तो ज्यादा उछलने की जरूरत भी नहीं है।

खिलाड़ी, उनके माता पिता, कोच और सपोर्ट स्टाफ दिन रात, सालों साल मेहनत कर रहे हैं। सरकारें तो तब सामने आती हैं जब कोई खिलाड़ी ख्याति पा जाता है या ओलंपियन बन जाता है। भला हो नीरज चोपड़ा का जिसने भारत की खेल प्रतिष्ठा को धरातल से थोड़ा ऊपर उठाया है। लेकिन जश्न मनाने और पगलाने का वक्त अभी नहीं आया है। अभी भारतीय खेलों को लंबा सफर तय करना है।

पदकों के लुटेरे:

इसमें दो राय नहीं कि भारतीय खिलाड़ियों ने दावों और उम्मीदों से बहुत नीचे और लंदन ओलंपिक से थोड़ा ऊपर का प्रदर्शन किया है। लेकिन अमेरिका,चीन, मेजबान जापान, ग्रेट ब्रिटेन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी ,इटली जैसे पदकों के लुटेरों के बारे में क्या राय है? पदकों के लुटेरे अमेरिका और चीन में हमेशा होड़ लगी रही है।

ये दोनों महाशक्तियां ओलंपिक की सारी मलाई चट कर जाती हैं। बाकी का बंटवारा दस बारह देशों के बीच होता है। दुर्भाग्यवश, भारत के हिस्से हमेशा खुरचन ही आती है।

बात कुछ हजम नहीं हुई:

अक्सर हमारी सरकारें, खेल मंत्रालय और खेल प्राधिकरण भारत को खेल महाशक्ति बनाने की बात करते हैं। कोई चार साल में तो कोई आठ से बारह साल में यह करिश्मा करने की हुंकार भरता है। लेकिन खेलों में बड़ी ताकत बनने के लिए अमेरिका और चीन जैसा रिकार्ड चाहिए होता है, जोकि सालों से एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

अमेरिका पिछले पांच खेलों से पदकों का शतक जमा रहा है और चीन लगातार उसका पीछा कर रहा है। टोक्यो ओलंम्पिक में दोनों ने क्रमशः 39 और 38 स्वर्ण जीत कर अपनी श्रेष्ठता का परचम फहराया है और हम एक स्वर्ण जीत कर सातवें आसमान में जा चढ़े।

बात कुछ हजम नहीं हो रही। यूरोप के कमसे कम चालीस देश, अफ्रीकी और कैरेबियन देश, जापान, कोरिया जैसी एशियाई शक्तियां हमसे मीलों आगे हैं। तो फिर खेल महाशक्ति कैसे बनेंगे?

पेरिस में दो स्वर्ण पदक:

अगला ओलंम्पिक बस तीन साल की दूरी पर खड़ा है। जरूरत इस बात की है कि हमारे खेल आका आज और अभी से तैयारी में जुट जाएं और लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़े। पेरिस में दो स्वर्ण का दावा बेहतर रहेगा, वरना जगहंसाई हो सकती है।

खिलाड़ियों को भरपूर सुविधाएं दें और उनसे हार जीत का हिसाब किताब भी मांगें। ओलंम्पिक में भीड़ जुटाने की बजाय पदक की संभावनाओं वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसा हुआ तो भारतीय खेल अपने लिए कोई न कोई आसमां जरूर तलाश लेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *