Indian archers have not been able to find a place in USA World Championships

बच्चों से हारे ओलंपियन तीरंदाज

राजेंद्र सजवान

टोक्यो ओलंम्पिक में पदक चूकने वाली दीपिका कुमारी उनके पति अतानु दास, तरुणदीप राय और परवीन जाधव के दुर्भाग्य ने अभी उनका पीछा नहीं छोड़ा है। ओलंम्पिक में करीबी अंतर से पदक गंवाने वाले सभी भारतीय तीरंदानों को अगले माह अमेरिका में आयोजित होनेवाली विश्वचैम्पियनशिप में भाग लेने वाली भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पाई है। उन्हें जूनियर तीरंदाजों ने घुटने टेकने को मजबूर किया।

आज यहां भारतीय तीरंदाजी एसो. द्वारा यूथ विश्व तीरंदाजी में रिकार्डतोड़ सफलता अर्जित करने वाले भारतीय तीरंदाजों के स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए तीरंदाजी एसो के अध्यक्ष और मंत्री अर्जुन मुंडा ने पदक विजेताओं का जोरद्वार स्वागत किया और कहा कि ओलंम्पिक में पदक नहीं जीतने का उन्हें दुख है।

लेकिन जूनियर चैंपियनों के हाथों ओलम्पियनों की हार भारतीय तीरंदाजी के लिए शुभ संकेत है। सीधा सा मतलब है कि प्रतिभाएं उभर कर आ रही हैं और उनको सीनियर्स पर भारी पड़ता देखना अच्छा लगता है।

पोलैंड में आयोजित यूथ तीरंदाजों में कोमालिका बारी,प्रिय गुर्जर, विशाल चांगमै, साक्षी चौधरी, परनीत कौर, रिधु वार्षिणी और कई अन्य ने रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन किया और भारत के कुल पदकों की संख्या को 15 तक पहुंचाया, जिसमें आठ स्वर्ण पदक शामिल हैं।

यूथ मुकाबलों में भारत का यह अब तक का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। कोमालिका बारी और रिद्धि ने दीपिका कुमारी को वर्ल्डकप क्वालीफायर में परास्त कर अपनी प्रतिभा के दर्शन कराए थे और अब यूथ मुकाबलों में विश्वख़िताब जीता है।

खिलाड़ियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में अर्जुन मुंडा ने माना कि टोक्यो ओलंम्पिक में भारत का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा लेकिन भारतीय खिलाड़ी ओवरऑल प्रगति कर रहे हैं। तीरंदाजी में शायद मनोवैज्ञानिक तौर पर कमजोर रहे वरना नजदीकी मुकाबले क्यों हारते।

उन्होंने उम्मीद जतलाई कि आने वाले सालों में कई जूनियर खिलाड़ी आगे आएंगे और स्थापित खिलाड़ियों के लिए सिरदर्द बन सकते हैं।

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