June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

झूठ और दिखावे पर टिकी भारतीय फुटबॉल हुई पंचर

  • लगातार पराजयों में मलेशिया के हाथों एक और हार के जुड़ने से भारतीय फुटबॉल का रिकॉर्ड खराब हो गया है
  • फुटबॉल एक्सपर्ट और जी हुजूर कमेंटेटरों ने मर्डेका कप में मेजबान मलेशिया के हाथों हुई 2-4 की हार पर अनाप-शनाप उगलना शुरू कर दिया है
  • आम भारतीय फुटबॉल प्रेमी समझ गया है कि झूठ और आडंबर से बात नहीं बनने वाली
  • भले ही कोई भी बहाना बनाया जाए लेकिन सच्चाई यह है कि भारतीय फुटबॉल का अमृत काल सालों और मीलों दूर है

राजेंद्र सजवान 

कुछ दिन पहले तक भारतीय फुटबॉल आका, फेडरेशन, उसके जी हुजूर, कोच और हमारे अति-उत्साहित कमेंटेटर जब तब राग अलाप रहे थे कि भारतीय फुटबॉल टीम ने लगातार 12 मैचों में अजेय रहने का जो रिकॉर्ड बनाया उस पर देश के फुटबॉल प्रेमियों को गर्व करना चाहिए। सच्चाई यह है कि भारतीय फुटबॉल के करवट बदलने की प्रतीक्षा कर रहे देशवासियों ने ऐसा माना भी। उन्हें लगा कि भारतीय फुटबॉल बदल रही है और अब वह दिन दूर नहीं जबकि हमारे खिलाड़ी एशियाड और ओलम्पिक जैसे आयोजनों में धमाल मचा देंगे और जल्दी ही वर्ल्ड कप का टिकट पा जाएंगे।

 

  लेकिन लगातार पराजयों के चलते मलेशिया के हाथों एक और पराजय के जुड़ने से भारतीय फुटबॉल का रिकॉर्ड खराब हो गया है। चूंकि हमारे फुटबॉल एक्सपर्ट और जी हुजूर कमेंटेटर ब्लू टाइगर्स की हर अदा पर फिदा रहते हैं, इसलिए उन्होंने मर्डेका कप में मेजबान मलेशिया के हाथों हुई 2-4 की हार पर अनाप-शनाप उगलना शुरू कर दिया है। हमारे ये दिग्गज रेफरी और ग्राउंड कंडीशन का रोना रोकर अपनी फुटबॉल को बचाने की भरसक कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन आम भारतीय फुटबॉल प्रेमी समझ गया है कि झूठ और आडंबर से बात नहीं बनने वाली। भारत को यदि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में सम्मान पाना है तो आज और अभी से शुरू से शुरुआत करनी होगी।

   यह ना भूलें कि मलेशिया की फीफा रैंकिंग  134 है, जबकि भारत 102 पर है। अर्थात इस हार से भारतीय फुटबॉल की गरिमा पर गहरी चोट पहुंची है। भले क्रोशिएशन कोच साहब कुछ भी कहें, कैसे भी अपने खिलाड़ियों का बचाव करें और अपनी कुर्सी को सलामत रखने के लिए कोई भी झूठ बोले लेकिन अब आम फुटबॉल प्रेमी अपने फुटबॉल आकाओं को समझ गया है। भले ही कोई भी बहाना बनाया जाए लेकिन सच्चाई यह है कि भारतीय फुटबॉल का अमृत काल सालों और मीलों दूर है।

   एशियाई खेलों में हमारे खिलाड़ियों ने देश के मान-सम्मान को चार चांद लगाए। कई खेलों में सुधार नजर आया है लेकिन रोंदू फुटबॉल लगातार पिछड़ रही है। विभिन्न आयु वर्गों में लगातार बुरी खबरें आ रही हैं। बेशक, खेल मंत्रालय, साई और एआईएफएफ को गंभीरता दिखाने की जरूरत है। जिम्मेदार लोगों को जानना होगा कि बीमारी कहां है और क्यों ब्लू टाइगर्स मेमनों की तरह मिमिया रहे है? यह भी पता करें कि कोच, सीनियर खिलाड़ी और सरकारी विभाग फुटबॉल प्रेमियों को बेवकूफ तो नहीं बना रहे!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *