- ढेरों अर्जुन अवार्डी, पद्मश्री और द्रोणाचार्य देने वाले गुरु हनुमान को हनुमान जी का अवतार मानने वाले ज्यादातर चैम्पियन पेरिस ओलम्पिक में एक-दो पदक की उम्मीद कर रहे हैं
- महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, दिल्ली और कुछ अन्य प्रदेशों के पूर्व पहलवान और गुरु-खलीफाओं की राय में पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगने के बाद से भारतीय पहलवानों ने पिछले कुछ महीनों में बहुत कुछ खोया है
- भारतीय कुश्ती को बेरहमी और ऐंठ के साथ चलाने वाले भी कोई बड़ा दावा करने से कतरा रहे हैं और भगवान भरोसे का डायलॉग झाड़ देते हैं
- ओलम्पिक के लिए फिलहाल महिला पहलवान अंतिम पंघाल ही टिकट हासिल कर पाई है, तो विनेश फोगाट के पास क्वालीफाई करने का मौका है और साथ में वह दूसरे मोर्चे पर ब्रजभूषण से बराबर टक्कर भी ले रही हैं
राजेंद्र सजवान
भारतीय कुश्ती पेरिस ओलम्पिक में कौन सा करिश्मा करने वाली है, कितने तीर चलाने वाली हैं, ये सवाल आज हर कुश्ती प्रेमी की जुबान पर है। पिछले कुछ ओलम्पिक में अपने पदक विजेता पहलवानों के प्रदर्शन को देखते हुए ज्यादातर कुश्ती प्रेमी यह सोच बैठे थे कि ओलम्पिक में पदक जीतना भारतीय पहलवानों के लिए मुश्किल काम नहीं है। लेकिन पिछले एक-डेढ़ साल में पहलवानों के साथ जो कुछ घटित हुआ उसे याद कर हर कोई कह रहा है कि अब हमारी कुश्ती हनुमान और भगवान के भरोसे है।
देश के पुराने अखाड़ों में से एक गुरु हनुमान अखाड़े की पहचान भले ही पहले जैसी नहीं रही है लेकिन आज भी जब कोई पत्रकार-लेखक कुश्ती पर लिखना चाहता है, सबसे पहले दिल्ली के गुरु हनुमान अखाड़े की सुध लेता है। अखाड़े के पूर्व चैम्पियनों से पूछने पर बस यही जवाब मिलता है कि भारत के पदकों की उम्मीद हनुमान की कृपा पर निर्भर है। ढेरों अर्जुन अवार्डी, पद्मश्री और द्रोणाचार्य देने वाले गुरु हनुमान को हनुमान जी का अवतार मानने वाले ज्यादातर चैम्पियन पेरिस ओलम्पिक में एक-दो पदक की उम्मीद कर रहे हैं।
महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, दिल्ली और कुछ अन्य प्रदेशों के पूर्व पहलवान और गुरु खलीफाओं की राय में भारतीय पहलवानों ने पिछले कुछ महीनों में बहुत कुछ खोया है। पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगने के बाद से देश के अखाड़ों और ट्रेनिंग सेंटर्स को सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया गया है। भले ही पहलवान लौटने लगे हैं लेकिन भारतीय कुश्ती को बेरहमी और ऐंठ के साथ चलाने वाले भी कोई बड़ा दावा करने से कतरा रहे हैं। हर कोई भगवान भरोसे का डायलॉग झाड़ देता है।
ओलम्पिक के लिए फिलहाल महिला पहलवान अंतिम पंघाल ही टिकट हासिल कर पाई है। टोक्यो में सिल्वर जीतने वाले रवि दहिया और ब्रॉन्ज पाने वाले बजरंग पूनिया के पेरिस जाने के मौके हाथ से फिसल चुके हैं। साक्षी मलिक रेस्लिंग शू उतार कर अलविदा कह चुकी हैं, तो विनेश फोगाट के पास क्वालीफाई करने का मौका है। वह दूसरे मोर्चे पर ब्रजभूषण से बराबर टक्कर भी ले रही हैं। पुरुष वर्ग में अभी चार से छह पहलवानों के क्वालीफाई करने के मौके बताए जा रहे हैं। लेकिन ग्रीको-रोमन से हनुमान जी बेहद नाराज नजर आते हैं। हां, तीन-चार महिला पहलवानों पर भगवान का आशीर्वाद हुआ तो ठीक। वरना, दल का आकार छोटा रहेगा।