ग्रास रुट से सिखाएंगे विदेशी कोच, हल्द्वानी में पहली फुटबाल अकादमी।

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

भारतीय फुटबाल के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। हां, इतना जरूर सुना है कि भारत दुनिया के इस सबसे लोकप्रिय खेल में बहुत पीछे है और सरकार एवम निजी संस्थान मिल कर भारत में फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आज यहां ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम के चलते पूर्व मैक्सिकन कोच और मैक्सिकन फुटबाल अकादमी के डायरेक्टर डेविड फर्नांडेज ने कहा कि वह भारत में फुटबॉल के लिए संभावनाएं तलाशने आए है।

इंडो यूरोप स्पोर्ट्स एंड यंग ब्वायज एफसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के चलते देश के जाने माने कोच बीरू मल, दिल्ली फुटबाल के वरिष्ठ प्रशासक नरेंद्र भाटिया, सदस्य फुटबाल दिल्ली शिप्रा भाटिया और बीयूएफसी उत्तराखंड के कार्यकारी निदेशक द्रोण भारद्वाज ने भारतीय फुटबाल के बारे में अपने विचार रखे और एकमत से माना कि यूरोप के नामी कोचों को समय समय पर भारत बुला कर भारतीय फुटबाल में सुधार किया जा सकता है।

Mexican Football Academy

इंडो यूरोप स्पोर्टस के डायरेक्टर वसीम अल्वी ने बताया कि डेविड के अलावा हंगरी के पीटर तामस, हॉलैंड के बो रेंज और जर्मनी के बर्नहार्ड लेहनेर्ट शीघ्र भारत पहुंच रहे हैं और शनिवार को आठ बजे सुबह से दिल्ली के अम्बेडर स्टेडियम में आयोजित होने वाले फुटबाल प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेंगे। सभी स्थानीय खिलाड़ियों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनसे कोई फीस नहीं ली जाएगी। अल्वी के अनुसार भारतीय खिलाड़ियों और कोचों को विदेशी कोचों से सीखने का सुनहरी मौका है, जो कि उन्हें बिना किसी शुल्क के सिखाने आ रहे हैं।

श्री अल्वी ने कहा कि इंडो यूरोप स्पोर्ट्स के सभी कोच अंतरराष्ट्रीय ख्याति के हैं और लाइसेन्स कोर्स कर चुके हैं। इंडो यूरोप स्पोर्टस ने अगले तीन सालों में उत्तर भारत में 30 अकादमियां खोलने का लक्ष्य रखा है, जिसकी शुरुआत हल्द्वानी से की जा रही है। मैक्सिको के कोच डेविड कोआमंत्रित करने का मुख्य कारण यह है कि इंडो मेक्सिकन फुटबाल एक्सीलेंस द्वारा उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक अन्तरराष्ट्रीय फुटबाल अकादमी शुरू की जा रही है, जिसमें देशभर के चुने हुए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस अवसर पर ख्याति प्राप्त कोच बीरू मल ने कहा कि भारत में अच्छे कोचों की भारी कमी है। जरूरत इसबात की है कि हमारे खिलाड़ी और कोच विदेशी कोचों से सीखें और आधुनिक फुटबाल में आगे बढ़ने के तरीके आजमाएं। उन्हें इस बात का अफसोस है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बस एक सुनील छेत्री नाम का खिलाड़ी है। शिप्रा भाटिया ने अल्वी के प्रयासों को सराहा और सुझाव दिया कि महिला खिलाड़ियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि समय रहते लड़कियां भी फुटबाल को आजीविका का जरिया बना सकें।

डेविड फर्नांडेज को उम्मीद है कि यदि भारत में विदेशी कोचों से सीखने का चलन बना रहा तो बहुत जल्दी ही भारतीय फुटबाल आगे बढ़ सकती है। वह मानते हैं कि भारत को इस दिशा में बहुत कुछ करना है। हर गली और शहर में अकादमियों के गठन से ही ऐसा संभव हो पाएगा।

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