How did the school prepare hundreds of famous footballers without fees

बिना फीस के स्कूल ने कैसे तैयार किए सैकड़ों नामी फुटबॉलर !

राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड

भारतीय फुटबाल टीम के कप्तान सुनील क्षेत्री दिल्ली के उस स्कूल से पढ़े हैं जिसे सुबर्तो मुखर्जी फुटबाल टूर्नामेंट जीतने का सम्मान प्राप्त है। ऐसा करिश्मा करने वाला ममता मॉडर्न राजधानी का अकेला स्कूल है। लेकिन फ़ुटबाल में जिस सरकारी स्कूल ने सीमित साधनों के चलते बड़ा नाम कमाया वह मोती बाग़ का ब्यायज सीनियर सेकेंडरी स्कूल है, जिसने दिल्ली और देश को दर्जनों नामवर खिलाडी दिए।

1970 -80 के दशक में मोती बाग़ स्कूल फुटबाल पटल पर अवतरित हुआ और देखते ही देखते इस बिना फीस वाले स्कूल ने साल दर साल ऊँचे आयाम स्थापित कर डाले। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि स्कूल के प्रिंसिपल अयोध्या प्रसाद फुटबाल के शौक़ीन थे।

सोने में सुहागा तब हुआ जब जाने माने कोच रमेश चंद्र देवरानी कोच बन कर आये। फिर क्या था, स्कूल पढाई और फुटबाल में राजधानी का अव्वल स्कूल बन कर उभरा और सौ फीसदी रिजल्ट के साथ साथ फुटबाल में भी ट्राफियों की भरमार हो गई।

दिल्ली के जाने माने खिलाडियों भीम सिंह भंडारी, तिलक, चन्दर, विलियम, पीटर, सेबेस्टियन , रविंद्र रावत, अरुण और तरुण राय, सुभाशिष दत्ता आदि को खेल के गुर सिखाने वाले देवरानी के कोच रहते मोती बाग़ स्कूल ने लक्ष्मण बिष्ट, रुबिन सतीश, संतोष कश्यप, रवि राणा, सजीव भल्ला, रघुनाथ, गुरमीत, जैक लाल, प्रमोद रावत जैसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों खिलाडी तैयार किए, जिन्होंने मोती बाग़ स्कूल और उसके फुटबाल सेंटर को दिल्ली और देश की फुटबाल में ख़ास बना दिया।

शिमला यंग्स, गढ़वाल हीरोज, सिटी, मूनलाइट, मुगल्स, नेशनल, एंडी हीरोज, फ्रंटियर, यंगस्टर और तमाम क्लब उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाडियों के दम पर ऊँचा नाम सम्मान कमाने में सफल रहे। चैम्पियन पीजी डीएवी कालेज का खरा माल भी देवरानी की फुटबाल फैक्ट्री से बन कर निकलता था।

देवरानी चले गए लेकिन उनके द्वारा किए गए बीजारोपण का फल आगे भी मिलता रहा। उनके निधन के बाद भी मोती बाग़ स्कूल इसलिए मैदान में डटा रहा क्योंकि उनके पसंदीदा शिक्षक और कोच पीएस पुरी ने देवरानी की स्थापित परंपरा को आगे बढ़ाना जारी रखा। पुरी को खुद देवरानी ने जिम्मेदारी सौंपी थी, जिन्होंने अपने सेवा काल के अंत तक मोती बाग़ के फुटबाल सम्मान को बनाए रखा और नामी .खिलाडियों के दम पर स्कूल की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाया।

बेशक, देवरानी दिल्ली के अब तक के श्रेष्ठतम कोच रहे। उनके देहांत के बाद उत्तरांचल हीरोज फुटबाल क्लब ने लगभग दस साल तक उनके नाम पर देवरानी कप का आयोजन किया। बाद के सालों में विभागीय सहयोग नहीं मिल पाने के कारण ऐसा सम्भव नहीं हो पाया लेकिन स्कूल में अच्छे खिलाडियों की आज भी कोई कमी नहीं है। हेड ऑफ स्कूल दिगंबर सिंह रावत और कोच अरुण प्रकाश खंकरियाल मोती बाग़ स्कूल को फिर से राजधानी का फुटबाल सिरमौर बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

उनके इस प्रयास में उत्तरांचल हीरोज फुटबाल क्लब की फुटबाल अकादमी भी सहयोग कर रही है, जिसके पूर्व खिलाडी और कोच निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं। पिछले कुछ सालों में आशू, चेतन, रोबिन , संजीव, अमित रावत, कुमार अरमान, मनोचा आदि उभरते खिलाड़ी स्कूल को नई पहचान देने में सफल रहे हैं। श्री रावत खुद भी फुटबॉलर रहे हैं और फिर से मोती बाग़ को ‘फुटबाल हब’ बनाना चाहते हैं।

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